नमाज़ी के सामने से गुज़रना मना है हटना गुनाह नहीं


 

नमाज़ी के सामने से गुज़रना मना है हटना गुनाह नहीं

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आमतौर से मस्जिद में देखा गया है कि दो शख्स आगे पीछे नमाज़ पढ़ते हैं यानी एक पिछली सफ़ में और दूसरा उसके सामने अगली सफ़ में,, अगली सफ़ में नमाज़ पढ़ने वाला पीछे वाले से पहले फ़ारिग़ हो जाता है और फिर उसकी नमाज़ ख़त्म होने का इंतज़ार करता रहता है कि कब वह सलाम फेरे तब यह वहां से हटे। और उससे पहले हटने को नमाज़ी के सामने से गुज़रना ख़्याल किया जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है आगे नमाज़ पढ़ने वाला अपनी नमाज़ पढ़कर हट जाए तो उस पर गुज़रने का गुनाह नहीं है। ना वह नमाज़ी के सामने से गुज़रने वाले के बारे में वारिद शुदा हदीस में मज़्कूर व-ईद का मिसदाक़ है

खुलासा यह के नमाज़ी के सामने से गुज़रना मना है हटना मना नहीं है (सद्रुश शरीआह हज़रत मौलाना अमजद अली साहब आज़मी अलैहिर्रहमा) फरमाते हैं अगर दो शख़्स आदमी के आगे से गुज़रना चाहते हों और सुतरे (नमाज़ी के आगे रखने) को कोई चीज़ नहीं तो उनमें से एक नमाज़ी के सामने उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ा हो जाए और दूसरा उस की आड़ (ओट) पकड़ कर गुज़र जाए फिर वह दूसरा उसकी पीठ के पीछे नमाज़ी की तरफ पुश्त (पीठ) करके खड़ा हो जाए और यह गुज़र जाए वह दूसरा जिधर से आया उसी तरफ हट जाए।

📚 (आलमगीरी, रद्दुल मुख़्तार, बहारे शरीअत, हिस्सा 03 सफ़्हा 159)

इससे ज़ाहिर है कि गुज़रने और हटने में फ़र्क़ है,, और गुज़रने का मतलब यह है कि नमाज़ी के सामने एक तरफ़ से आए और दूसरी तरफ़ निकल जाए ये यक़ीनन ना जाइज़ और गुनाह है। और अगर नमाज़ी के सामने बैठा है,, और किसी तरफ़ हट जाए तो यह गुज़रना नहीं है और इसमें कोई गुनाह नहीं है।


📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 34,35)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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