हमबिस्तरी का सुन्नत तरीक़ा क्या है


सवाल हमबिस्तरी (सम्भोग) का सुन्नत तरीक़ा क्या है, (यानी मियां बीवी के सेक्स करने का तरीक़ा क्या है)

अल जवाब बेहतर और सुन्नत तरीक़ा यह है कि क़ब्ल जिमअ् (सेक्स करने से पहले) मीठी मीठी प्यार व मुहब्बत भरी बातें करें और एक दूसरे के नरम व नाज़ुक अंगों को छुएं और मुक़दमाते जिमअ् यानी बोसो किनार मस वलमस करते रहें जब तक के बीवी मुबाशिरत के लिए आमादा ना हो जाए, ख़ुद बेचैन व बेक़रार होकर जल्दबाज़ी न करे बल्कि अपने आप पर पूरा इत्मिनान रखे बाज़ लोग पहुंचते ही जानवरों की तरह डायरेक्ट शुरू हो जाते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए

हदीसे पाक में है

सैयदना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है कि, महबूबे कौनैन सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया

मर्द को चाहिए कि अपनी औरत पर जानवरों की तरह ना करे सोहबत से पहले क़ासिद होता है साहबा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह वह क़ासिद क्या है इरशाद फ़रमाया वह बोस किनार और मुहब्बत आमेज़ गुफ़्तगू (प्यार भरी बातें) वगै़रह हैं

📗 कीमिया ए सआदत, सफ़ह 266)

बोस व किनार और गुफ़्तगू के दौरान दिल ही दिल में यह दुआ पढ़े


بسم الله العلي العظيم الله اكبر الله اكبر

इसके बाद बरहना होने यानी कपड़ा उतारने से पहले कम से कम एक मर्तबा सूरह इख़्लास यानी क़ुलहुवल्लाहु अहद....... ‌ पूरी सूरह पढ़ें, उसके बाद यह दुआ पढ़ें

بسم الله الهم جنبنا الشيطان وجنب الشيطان ما رزقنا

📗 मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 1 सफ़ह 463

📘 अहयाउल उलूम जिल्द 2 सफ़ह 93)

और मुबाशिरत के दौरान मर्द और औरत कोई चादर वग़ैरह ओढ़ लें जानवरों की तरह बरहना सोहबत ना करें

जैसा कि हदीसे पाक में है

उतबा बिन असलमी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया

तुम में से जो अपनी बीवी के पास जाए तो पर्दा कर ले और गधों की तरह ना शुरू हो जाए

📗 इब्ने माजा जिल्द 1 बाब नंबर 616, हदीस नंबर 1990, सफ़ह नंबर 538)

आलाहज़रत अलैहिर्रहमह फ़तावा रज़वियह शरीफ़ में बित्तफ़सील आदाबे मुबाशिरत तहरीर फ़रमाते हैं

यादे इलाही व आमाले सालेहा के लिए अपने क़ल्ब का इस तशवीश से फ़ारिग़ करना यूंकि ना अपनी बरहनगी हो, ना औरत की के हदीस में फ़रमाया

ولا يتجر دان تجردالعير

और उस वक़्त ना रू बक़िब्ला हो, ना पुस्त बा क़िब्ला औरत चित हो और यह उकड़ू बैठे और बोस व किनार व मसाई व मलाअबत से शुरू करे जब उसे भी मुतवज्जह पाए

بسم الله الرحمن الرحيم جنبنا الشيطان وجنب الشيطان ما رزقتنا

कहकर आग़ाज़ (शुरू) करे और उस वक़्त कलाम और फ़ुर्ज पर नज़र ना करे, बादे फ़राग़ फ़ौरन जुदा ना हो, यहां तक के औरत की भी हाजत पूरी हो, हदीस में इसका भी हुक्म है अल्लाह अज़्ज़ा ल जल्ल की बेशुमार दुरूदें उन पर जिन्होंने हमको हर बात में तालीमे ख़ैर दी और हमारी कश्ती हाजत दीनी व दुनियावी को महमिल ना छोड़ा

सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम व अला आलिही वसहाबिही अजमईन

📚 फ़तावा रज़वियह शरीफ़ जिल्द 09 सफ़ह 161 निस्फ़ आख़िर)

और जिस वक़्त इन्ज़ाल हो यानी मर्द की मनी उसके आला से निकलकर औरत के फ़ुर्ज में दाख़िल होने लगे उस वक़्त दिल ही दिल में यह दुआ पढ़ें

اللهم لا تجعل للشيطان فيما رزقتنى نصيبا

📗 हसन हुसैन, सफ़ह 165)

और इन्ज़ाल के फ़ौरन बाद अलग ना हो

हज़रत सैय्यदना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रज़िअल्लाहू तआला अन्ह रिवायत करते हैं

हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया

मर्द में यह कमज़ोरी की निशानी है कि जब मुबाशिरत का इरादा करे तो बोसो किनार से पहले जिमाअ् करने लगे और जब इन्ज़ाल हो जाए तो सब्र ना करे और फ़ौरन अलग हो जाए कि औरत की हाजत पूरी नहीं होती

📔 कीमिया ए सआदत सफ़ह 266)

लिहाज़ा मर्द को चाहिए कि इन्ज़ाल होने के बाद फ़ौरन अलग ना हो जाए बल्कि उसी तरह कुछ देर ठहरा रहे ताकि औरत की भी ख़्वाहिश पूरी हो जाए क्योंकि औरत को देर में इन्ज़ाल होता है

अल इन्तिबाह

इस बात का हमेशा ख्याल रखें के जब भी मुबाशरत का इरादा हो तो यह मालूम कर लें कि कहीं औरत हैज़ से तो नहीं है, चुनाचे औरत से साफ-साफ पूछ ले और औरत की भी जिम्मेदारी है कि अगर वह हायज़ा हो तो बेझिझक अपने शौहर को उससे आगाह करे अगर औरत हालते हैज़ में हो तो हरगिज़ हरगिज़ मुबाशरत ना करे के उन अय्याम (दिनों) में मुबाशरत करना बहुत बड़ा गुनाह है

अक्सर औरतें शादी की पहली रात हालते हैज़ में होने के बावजूद शर्म की वजह से नहीं बताती हैं या अगर कह भी दे तो बहुत कम मर्द होते हैं जो सब्र से काम लेते हैं, फिर उस जल्दबाज़ी की सज़ा उम्र भर डॉक्टरों और हकीमो की फ़ीस की शक्ल में भुगतते फिरते हैं लिहाज़ा मर्द और औरत दोनों को ऐसे मौक़ों पर सब्र व तहम्मुल से काम लेना चाहिए

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 168--169--170)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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