इमाम का मुक्तदियों से ऊँची जगह खड़ा होना ?


 इमाम का मुक्तदियों से ऊँची जगह खड़ा होना ?

❈•───islami────❈───malumat────•❈

कई जगह देखा गया है के नमाज़ मै इमाम मुक्तदियों से ऊंची जगह पर खड़ा होता है, मसलन अंदर के हिस्से की कुर्सी ऊंची है और बाहर के हिस्से की नीची और इमाम का मुसल्ला अंदर के फर्श पर है और मुक्तदी बाहर, या दोनों अंदर हैं लेकिन इमाम के मुसल्ले के लिए फर्श ऊंचा कर दिया गया है, तो यह मकरूह है, और इस तरह नमाज़ पढ़ने से नमाज़ में कमी आती है। मसला यह है कि इमाम का तन्हा बलंद ऊंची जगह खड़ा होना मकरूह है और ऊंचाई का मतलब यह है कि देखने से अंदाज़ा हो जाए के इमाम ऊंचा है और मुक्तदी नीचे। और यह फ़र्क़ मामूली हो तो मकरूहे तंज़ीही, और अगर ज़्यादा हो तो तहरीमी है हां अगर पहली सफ़ इमाम के साथ और बराबर मै हो बाकी सफें नीची हो तो कुछ हर्ज नहीं यह जाइज़ है

नोट इस मसले की तफ़सील जानने के लिए फ़तावा रज़विया, जिल्द सोइम, सफा नंबर 415 देखना चाहिए इस मसअले का खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि खुद हदीस शरीफ में भी इस से मुताअल्लिक़ मरवी है

📚 हदीस हजरत हुज़ैफ़ा रदी'अल्लाह ताला अन्हु से मरवी है कि, "रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम" ने फ़रमाया कि जब इमाम नमाज़ पढ़ाए तो मुक्तदियों से ऊंची जगह खड़ा ना हो

📚 (सुनन अबु दाऊद, जिल्द 1, सफ़्हा 88)


📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 42,43)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

Post a Comment

और नया पुराने