औरतों के लिए नमाज़ के मख़सूस (ख़ास) मसाइल!?



       औरतों के लिए नमाज़ के मख़सूस (ख़ास) मसाइल!? 

मसअला औरतें तक्बीरे तहरीमा के वक़्त कानों तक हाथ ना उठाएं बल्के मूंढे (कांधे) तक उठाएं हाथ नाफ़ के नीचे ना बांधें बल्के बाएं हथेली सीना पर छाती के नीचे रख कर उसकी पीठ पर दाहिनी हथेली रखें
रुकू में ज़्यादा ना झुकें बल्के थोड़ा झुकें यानी सिर्फ़ इस क़दर झुकें के हाथ घुटनों तक पहुंच जाए पीठ सीधी ना करें और घुटनों पर ज़ोर ना दें बल्के महज़ हाथ रखदें और हाथों की उंगलियां मिली हुई रखें और पाओं कुछ झुका हुआ रखें मर्दों की तरह ख़ूब सीधा ना करें औरतें सिमट कर सजदा करें यानी बाज़ू करवटों से मिलादें और पेट रान से और रान पिंडलियों से और पिंडलियां ज़मीन से और क़अदा में बाएं क़दम पर ना बैठें बल्के दोनों पाओं दाहिनी तरफ़ निकाल दें और बाएं सुरीन पर बैठें
औरतें भी खड़ी होकर नमाज़ पढ़ें
फ़र्ज़ और वाजिब जितनी नमाज़ें बग़ैर उज़्र बैठ कर पढ़ चुकी हैं उनकी क़ज़ा करें और तौबा करें
औरत मर्द की इमामत हरगिज़ नहीं कर सकती और सिर्फ़ औरतें जमाअत करें ये मकरूहे तहरीमी और नाजाइज़ है
औरतों पर जुमा और ईदैंन की नमाज़ वाजिब नहीं
📗 अनवारे शरीअत उर्दू, सफ़ह 51/52)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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