तरावीह का मुकम्मल बयान!?



सवाल तरावीह सुन्नत है या नफ़्ल

जवाब तरावीह मर्द हो या औरत सबके लिए सुन्नते मुअक्किदा है इसका छोड़ना जाइज़ नहीं 📚 बहारे शरीअत वग़ैरह)

सवाल तरावीह की कितनी रकअतें हैं

जवाब तरावीह की बीस (20) रकअतें हैं

सवाल बीस (20) रकअत तरावीह में क्या हिक्मत है

जवाब बीस (20) रकअत तरावीह में हिक्मत ये है के सुन्नतों से फ़राइज़ और वाजिबात की तक्मील होती है और सुबह से शाम तक फ़र्ज़ व वाजिब कुल बीस (20) रकअतें हैं तो मुनासिब हुआ के तरावीह भी बीस (20) रकअतें हों ताके मुकम्मल करने वाली सुन्नतों की रकआत और जिनकी तक्मील होती है यानी फ़र्ज़ व वाजिब की रकआत की तअदाद बराबर हो जाएं,

सवाल तरावीह की बीस (20) रकअतें किस तरह पढ़ी जाएं

जवाब बीस रकअतें दस (10) सलाम से पढ़ी जाएं यानी हर दो (2) रकअत पर सलाम फेरे और हर तरवीहा यानी चार (4) रकअत पर इतनी देर बैठना मुस्तहब है के जितनी देर में चार (4) रकअतें पढ़ी हैं📚 दुर्रेमुख़्तार 📚 बहारे शरीअत)

सवाल तरावीह की नीयत किस तरह की जाए

जवाब नियत की मेंने दो (2) रकअत नमाज़ तरावीह की सुन्नत सुन्नत रसूलल्लाह की अल्लाह तआला के लिए (मुक़तदी इतना और कहे पीछे इस इमाम के) मुंह मेरा तरफ़ कअबा शरीफ़ के अल्लाहू अकबर

सवाल तरवीहा पर (यानी हर चार रकअत के बाद) बैठने की हालत में चुप बैठा रहे या कुछ पढ़े

जवाब इख़्तियार है चाहे चुप बैठा रहे चाहे कल्मा या दुरूद शरीफ़ पढ़े और आम तौर पर ये दुआ पढ़ी जाती है

سُبْحانَ ذِي الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوتِ سُبْحانَ ذِي الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْكِبْرِياءِ وَالْجَبَرُوْتِ سُبْحانَ الْمَلِكِ الْحَيِّ الَّذِيْ لا يَنامُ وَلا يَمُوتُ سُبُّوْحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنا وَرَبُّ المْلائِكَةِ وَالرُّوْحِ اللَّهُمَّ أَجِرْنا مِنَ النّارِ يا مُجيرُ يا مُجيرُ يا مُجيرُ

सवाल तरवीह जमाअत से पढ़ना कैसा है

जवाब तरवीह जमाअत से पढ़ना सुन्नते किफ़ाया है यानी अगर मस्जिद में तरावीह की जमाअत न हुई तो मुहल्ले के सब लोग गुनाहगार हुए और अगर कुछ लोगों ने मस्जिद में जमाअत से पढ़ली तो सब बरीउल ज़िम्मा हो गए
📚 आलम गीरी 📚 बहारे शरीअत)

सवाल तरवीह में क़ुरआन मजीद ख़त्म करना कैसा है

जवाब पूरे महीने की तरावीह में एक (1) बार क़ुरआन मजीद ख़त्म करना सुन्नते मुअक्किदा है और दो (2) बार ख़त्म करना अफ़ज़ल है और तीन (3) बार ख़त्म करना मज़ीद फ़ज़ीलत रखता है बशर्ते ये के मुक़तदियों को तकलीफ़ ना हो मगर एक (1) बार ख़त्म करने में मुक़तदियों की तकलीफ़ का लिहाज़ नहीं किया जाएगा 📚 बहारे शरीअत 📚 दुर्रेमुख़्तार)
सवाल बिला उज़्र बैठकर तरावीह पढ़ना कैसा है
जवाब बिला उज़्र बैठकर तरावीह पढ़ना मकरूह है बल्के बअज़ फ़ुक़हा ए किराम के नज़दीक तो नमाज़ होगी ही नहीं 📚 बहारे शरीअत)

सवाल बअज़ लोग शुरू रकअत से शरीक नहीं होते बल्के जब इमाम रुकू में जाने लगता है तो शरीक होते हैं उनके लिए क्या हुक्म है

जवाब ना जाइज़ है ऐसा हरगिज़ नहीं करना चाहिए के इसमें मुनाफ़िक़ीन से मुशाबहत पाई जाती है
📚 ग़ुनियातुत्तालीबीन 📚 बहारे शरीअत)📗अनवारे शरीअत, उर्दू, सफ़ह 72/73/74)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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