अशरा ए मुहर्रम में काला हरा कपड़े पहनना कैसा



सवाल- बअ्ज़ औरतें सोग मनाने के लिए अशरा ए मुहर्रम में सियाह (काला ब्लैक) और सब्ज़ (हरा ग्रीन) कपड़े पहनती हैं और अपने बच्चों को पहनाती हैं तो क्या हुक्म है

अल जवाब अशरा ए मुहर्रम में तीन रंग के कपड़े पहनना दुरुस्त नहीं
1-सियाह यानी काला
2-सब्ज़ यानी हरा
3-सुर्ख़ यानी लाल (रेड)

इन तीनों से इज्तिनाब लाज़िम है, अव्वलन तो औरत को शौहर के अलावा के लिए सोग करना ही जाइज़ नहीं

मुजद्दिदे आज़म सरकार आलाहज़रत अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं शरिअत ने औरत को शौहर की मौत पर चार महीने दस दिन सोग का हुक्म दिया है, और उनकी मौत के तीसरे दिन तक इजाज़त दी है बाक़ी हराम है और हर साल सोग की तजदीद तो किसी के लिए असलन हलाल नहीं फिर हक़ीक़त देखिए तो दअ्वाए ग़म भी झूटाा यूं ही अशरा ए मुहर्रम के सब्ज़ रंगे हुए कपड़े भी नाजाइज़ हैं यह भी सोग की ग़र्ज़ से हैं सोग में असल सियाह लिबास है वह तो राफ़ज़ियों (यानी शिओं) ने किया और उन्हें ज़ैबा भी था के एक तो उनके दिलों की भी यही रंगत है (यानी शिओं के दिल भी काले हैं) दूसरे यह कि सैय्यदना इमाम शाफ़ई रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया कि

الشيعة نساء هذه الامة

यानी शिआ इस उम्मत की औरतें हैं सोग व मातम औरतों ही को ख़ूब आते हैं

अशरा ए मुबारक में तीन रंगों से बचे सियाह (यानी काला ब्लैक) सब्ज़ (यानी हरा ग्रीन) सुर्ख़ (यानी लाल रेड)

📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 09 सफ़ह 36 निस्फ़ आखिर)

और हुज़ूर सदरुश्शरिअह बदरुत्तरीक़ा अल्लामा अमजद अली अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं

अशरा ए मुहर्रम में तीन रंग के लिबास अहले बिदअत पहनते हैं, इन तीनों से इज्तिनाब चाहिए
अव्वल-सुर्ख़ या गुलाबी के यह ख़वारिज दुश्मनाने अहले बैत इज़हारे मुशर्रत के लिए पहनते है
दोम- सियाह के उसको राफ़़ज़ी (यानी शिआ) पहनते हैं
सोम- सब्ज़ या दहानी के यह ताज़ियादारों का शैवह है अगर कपड़ा मुख़्तलिफ़ रंग है तो वह इन तीनों से ख़ारिज है

📚 फ़तावा अमजदियह जिल्द 4, सफ़ह 167)
📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 45--- 46)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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