बच्चों को दीनी तालीम न देकर दुनियावी तालीम देना कैसा



सवाल अपने बच्चों और बच्चियों को दीनी तालीम दिलाए बग़ैर सिर्फ़ दुनियावी तालीम के लिए किसी मोंटेसरी और प्राइमरी स्कूल में भेजना कैसा है

अल जवाब हराम है इसलिए के इल्मे अक़ाइद का हासिल करना हर मुसलमान मर्द व औरत पर फ़र्ज़ है, फिर ज़रूरत के मसाईल मसलन जब नमाज का वक़्त आ जाए नमाज़ के मसाइल

وعلى هذا الصوم و الحج والزكاة

 वगैरह जैसा कि हदीसे पाक में है


रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया के 

इल्म का हासिल करना हर मुसलमान मर्द व औरत पर फ़र्ज़ है

📗 मिश्कातुल मुसाबीह, सफ़ह 34)

और यहां हदीस में इल्म से मुराद इल्मे अक़ाइद और जरूरियाते दीन के मसाइल का इल्म है

और आलाहज़रत अलैहिर्रहमह फ़रमाते हैं

ग़ैरे दीन की ऐसी तालीम के तालीम जरूरी दीन को रोके मुतलक़न हराम है फारसी हो या अंग्रेजी या हिंदी नीज़ उन बातों की तालीम जो अक़ाइदे इस्लाम के ख़िलाफ़ हैं उनका पढ़ना पढ़ाना हराम है

📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 9, सफ़ह 159 निस्फ़ आख़िर)

अल इन्तिबाह👇🏿

जो लोग अपने बच्चों को दीनी तालीम दिलाए बगैर सिर्फ़ दुनियावी तालीम के लिए मोंटेसरी और प्राइमरी स्कूलों में भेजते हैं हत्ता के बच्चों को कल्मा शरीफ़ भी याद नहीं कराते तो वह लोग सख्त गुनाहगार और बच्चों के बदख़्वाह हैं उन पर लाज़िम है कि पहले अपने बच्चों को बा'क़दरे फ़र्ज़ दीनी तालीम दिलवाएं फिर अगर चाहें तो अंग्रेजी हिंदी ज़बान सीखने के लिए स्कूल भेजें और इस दौरे जदीद में हर दीनी मकातिब व मदारिस वालों को चाहिए कि दीनी तालीम के साथ साथ दुनियावी तालीम का भी इंतज़ाम करें मसलन अंग्रेजी हिंदी हिसाब और जुग़राफ़िया वगैरह ताकि बच्चों को मदरसा व मकतब छोड़कर गैर क़ौम के स्कूलों में जाने की जरूरत ना पड़े

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह. 122---123)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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