सवाल बच्चों की तालीम व तरबियत कैसी होनी चाहिए
अल जवाब हदीसे पाक में है,
हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं,
वालीदैन पर औलाद का हक़ यह है कि जब वह पैदा हो तो उनके लिए उम्दा नाम तजवीज़ करें और जब वह बड़े हों तो उन्हें तालीम दें और जब वह बालिग हों तो उनकी शादी करें
📚 ज़ियाउल क़ुरआन 📔 ज़ियाउल वाइज़ीन, जिल्द 2, सफ़ह 50)
और हज़रत जाबिर बिन समरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने कहा कि
हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया
कोई शख्स अपनी औलाद को अदब सिखाए तो उसके लिए एक साअ् सदक़ा करने से बेहतर है
📘 तिर्मिज़ी 📗 अनवारुल हदीस सफ़ह 406)
अल इन्तिबाह👇🏿
बच्चे का अच्छा नाम रखें (यानी इस्लामी नाम रखें) क्योंकि बुरे नाम का असर बुरा पड़ता है और ऐसी सूरत में बच्चा तरबियत को कुबूल भी ना करेगा मां, या किसी एक नमाज़ी औरत से 2 साल तक दूध पिलवाएं, पाक (हलाल) कमाई से उनकी परवरिश करें के नापाक माल नापाक आदतें पैदा करता है, खेलने के लिए अच्छी चीज़ जो शरअन जाइज़ हो देते रहें, बहलाने और फुसलाने के लिए उनसे झूठा वअ्दा ना करें, जब कुछ होशियार हो जाए तो खाने-पीने उठने बैठने चलने फिरने मां-बाप और उस्ताद वगैरह की ताज़ीम का तरीक़ा बताएं, नेक उस्ताद के पास क़ुरान मजीद पढ़वाएं इस्लाम व सुन्नत सिखाएं हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम की ताज़ीम व मुहब्बत उनके दिल में डालें, कि यह असल ईमान है
जब बच्चे की उम्र 7 बरस हो जाए तो नमाज़ की ताकीद करें, और जब 10 बरस का हो जाए तो नमाज़ के लिए सख्ती करें, अगर ना पढ़े तो मार कर पढ़ाएं, वुज़ू व ग़ुसल और नमाज़ वगैरह के मसाइल बताएं, लिखने और तैरने की तालीम दें, फ़न्ने सिपागरी भी सिखाएं, बुरी सोहबत से बचाएं, इश्क़िया नावेल और अफसाने वगैरह हरगिज़ ना पढ़ने दें, जब जवान हो जाए तो नेक शरीफ़ अहले सुन्नत लड़की से शादी कर दें, और विरासत से उसे हरगिज़ मैहरूम ना करें, और लड़कियों को सीना पिरोना कातना और खाना पकाना सिखाएं, सूरह ए नूर की तालीम दें, और लिखना हरगिज़ ना सिखाएं के फ़ित्ना का एहतेमाल ग़ालिब है, बेटों से ज़्यादा उनकी दिल जोई करें, 9 बरस की उम्र से ही उनकी निगाह दास्त शुरू कर दें, शादी बारात में जहां नाच गाना हो वहां हरगिज़ ना जाने दें, रेडियो और मोबाइल वगैरह से गाना बजाना हरगिज़ ना सुनने दें, जब बालिग़ हो जाएं तो नेक शरीफ़ अहले सुन्नत लड़के के साथ शादी कर दें, फ़ासिक़ व फाजिर (यानी जो एलानिया हराम काम करता हो मसलन दाढ़ी मुंडाता हो, या एक मुश्त से कम रखता हो, या नमाज़ कभी पढ़ता हो कभी ना पढ़ता हो, या किसी हरामखोर तंज़ीम व तहरीक में जुडा हुआ हो) खुसूसन बदमज़हब (यानी वहाबी देवबंदी नदवी तब्लीगी अहले हदीस, नीचरी चकड़ालवी क़ादयानी शिआ वग़ैरहा) के साथ हरगिज़ निकाह ना करें (वरना दुनिया व आखिरत बर्बाद हो जाएगी) मआज़ अल्लाही रब्बिल आलमीन
📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह.129_130)
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
एक टिप्पणी भेजें