शबे ज़फाफ की बातें अपने दोस्तों को बताना कैसा



सवाल सुहागरात की बातें दूल्हा का अपने दोस्तों को और दुल्हन का अपनी सहेलियों को बताना कैसा है

अल जवाब दूल्हा का अपने दोस्तों को और दुल्हन का अपनी सहेलियों को सुहागरात मैं की हुई बातों का बताना ममनूअ् और तरीक़ा ए जाहिलाना बल्के हराम है

हदीसे पाक में है

हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के ज़माना ए जाहिलियत में लोग अपने दोस्तों को और औरतें अपनी सहेलियों को रात में की हुई बातें और हरकतें बताया करते थे
तो जब आक़ा सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम को इस बात की ख़बर हुई तो आपने उसे सख्त नापसंद फ़रमाया और इरशाद फ़रमाया

जिस किसी ने सोहबत की बातें लोगों में बयान कीं उसकी मिसाल ऐसी है जैसे शैतान औरत शैतान मर्द से मिले और लोगों के सामने ही खुले आम सोहबत करने लगें

📗 अबू दाऊद, जिल्द 2, बाब नंबर 127 हदीस नंबर 407, सफ़ह नंबर 155)

और अब्दुर्रहमान बिन सईद ने फ़रमाया कि मैंने हज़रत अबू सईद खुदरी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह को फ़रमाते हुए सुना के रसूले करीम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया

अल्लाह तआला के नज़दीक क़यामत के दिन सबसे बदतरीन (सबसे बुरा) वह शख़्स होगा जो अपनी बीवी के क़रीब हो जाए और बीवी अपना जिस्म उसके हवाला कर दे, यानी सोहबत के लिए मर्द के वास्ते अपने आप को पेश करे और फिर मर्द सोहबत करे और कुछ राज़दाराना गुफ्तगू करे फिर वह उस राज़ को ज़ाहिर कर दे (यानी लोगों के सामने बता दे)

📗 सही मुस्लिम बाबे तहरीम अफ़सा. सफ़ह 464)

आजकल अक्सर लड़के और लड़कियां सुहागरात की बातें अपने दोस्तों को खूब मस्ती के साथ मज़े ले ले कर बताते हैं और उनके दोस्त सुनकर खूब मुल्तज़िज़़ होते हैं, यह ख़िलाफ़े शरअ् नाजाइज़ व हराम भी है और बे हयाई व बेशर्मी के मुवाफ़िक़ भी, क्योंकि इससे बढ़कर बेशर्मी और क्या हो सकती है, कि लड़का अपनी बीवी के साथ की हुई बातें अपने दोस्तों से बयान करे और लड़की अपने साथ शौहर की की हुई बातें सहेलियों से बयान करे हां मगर वह जो ग़ैरतमंद और बाशर्म हैं वह कभी हरगिज़ ऐसा करना गवारा ना करेंगे

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 98--99)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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