ग़ुस्ल खाने में पेशाब करना कैसा


ग़ुस्ल खाने में पेशाब करने से मना और जदीद साइंस👇

अहादीस ए नबवी में ग़ुस्ल की जगह पेशाब करने से मना फरमाया है और फरमाया है कि उस से बे शुमार वसवसे (शैतानी ख़यालात) पैदा हो जाते हैं इस ज़िम्न में एक साइंस मैगज़ीन में लिखा है कि ग़ुस्ल की जगह पेशाब करने से शहवते नफसानिया की ज़्याद्ती होती है और उस से मुआशरती मोहलिकात पैदा होते हैं 

ग़ुस्ल की जगह पेशाब करने से इंसान नफसियाती मर्ज़ों का शिकार होता है 

ग़ुस्ल की जगह पेशाब करने से गुरदे में पथरी पैदा होती है 

पेशाब से बचें इमराज़ से बचें 

पेशाब से बचो अकसर अज़ाबे क़ब्र पेशाब के छीटों से ना बचने की वजह से होता है 

 📚 हदीस शरीफ )

मुसतशरिक़ जान्ट मिलन कहता है कि मेरे पास रानों की ख़ारिश और फुंसियों पेड़ू की खाल का उधड़ना सुरीनो और उसके पास की एलर्जी के मरीज़ जब आते हैं तो मेरा उनसे पहला सवाल यही होता है कि क्या वो पेशाब से बचते हैं ? उनमें अकसर पेशाब से नहीं बचते और फिर ला इलाज और मुश्किल मर्ज़ों को लेकर मेरे पास आते हैं 

( साइंस और सेहत)

जींस और पैंट की चैन और बटन खोल कर पेशाब और फिर बग़ैर इस्तन्जा किये फोरन बाँध लेने की सूरत में पेशाब के क़तरात आज़ाए जिस्म पर गिरते और लगते रहते हैं जिस से खाल के मर्ज़ और दुसरे बे शुमार मर्ज़ पैदा होते हैं

सुब्हान अल्लाह इस्लाम कितना ख़ूबसूरत और पाकीज़ा मज़हब है कि अपने मानने वालों को इतने मर्ज़ों से बचाता है

📘 इबादत और जदीद साइंस सफह 26

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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