क्या हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़माने में मय्यत का तीजा होता था

सवाल क्या हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़माने में मय्यत का तीजा होता था।

जवाब मय्यत का तीजा और इसी तरह दसवां बीसवां और चालीसवां वगैरह हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के ज़ाहिरी जमाना में नहीं होता था बल्कि यह सब बाद की ईजाद हैं और बिदअते हसना (अच्छी) हैं इसलिए कि इनमें मय्यत के ईसाले सवाब के लिए कुरान ख्वानी होती है । सदका खैरात किया जाता है और गुरबा व मसाकीन को खाना खिलाया जाता है और यह सब सवाब के काम हैं

हां इस मौका पर शादी बियाह की तरह दोस्त व अहबाब और अज़ीज़ व अकारिब की दावत करना ज़रूर बिदअते सैय्यह है

📚शामी जिल्द अव्वल सफ़ा 629📚फ़तहुल क़दीर जिल्द दोम सफ़ा 102📗अनवारे शरीअत सफ़ह 17--18--19--20)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

Post a Comment

और नया पुराने