अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह
बाद सलाम अर्ज़ है कि ज़ैद ने रमज़ान के महीने में रात को बीवी से हमबिस्तरी की, लेकिन ग़ुस्ल दिन में किया, तो रोज़ा होगा या नहीं? जवाब इनायत फ़रमाएँ, नवाज़िश होगी।
साइल: मुहम्मद रज़ी अहमद
ــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــ
वअलैकुमुस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह
अल-जवाब: बिऔनिल मलिकिल वह्हाब
नापाकी की हालत में रोज़ा हो जाएगा, अलबत्ता नमाज़ न पढ़ने के सबब गुनहगार होगा।
जैसा कि हुज़ूर फ़क़ीह-ए-मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा तहरीर फ़रमाते हैं: नापाकी की हालत में भी मियाँ-बीवी दोनों का रोज़ा हो गया, लेकिन नमाज़ न पढ़ने के सबब दोनों सख़्त गुनहगार हुए।
बहरुर्राइक़, जिल्द 2, सफ़्हा 273 में है: लव अस्बह जुनुबन ला यदुर्रुहू कज़ा फ़िल मुहीत”
और फ़तावा-ए-आलमगीरी, जिल्द 1 (मिस्री), सफ़्हा 187 में है: मन अस्बह जुनुबन औ इहतलम फ़िन्नहार लम यदुर्रुहू कज़ा फ़िल मुहीत सरख़सी”
माख़ूज़ ब-हवाला फ़तावा-ए-फ़ैज़ुर्रसूल, जिल्द 1, सफ़्हा 514।
इसी तरह फ़तावा मरकज़-ए-तरबियत-ए-इफ़्ता, जिल्द अव्वल, बाब-ए-रोज़ा, सफ़्हा 468 पर भी है।
वल्लाहु आलम बिस्सवाब
मुहम्मद रेहान रज़ा रिज़वी फ़रहाबादाड़ी, टेढ़ागाछ, वाया बहादुरगंज ज़िला किशनगंज, बिहार, इंडिया मोबाइल नंबर: 6287118487
