क्या औरतों का आपस में शोहबत के साथ मिलना ज़िना है


सवाल क्या औरतों का आपस में शोहबत के साथ मिलना ज़िना है

अल जवाब जी हां, औरत का औरत से शोहबत के साथ मिलना मुबाशिरत करना उनका आपस में ज़िना है

हदीसे पाक में इरशाद हुआ जिनको ख़तीब और इब्ने असाकिर ने हज़रत वासिला और अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत किया है कि

सरकरे दो आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया

दुनिया उस वक़्त तक फ़ना ना होगी, जब तक औरतें औरतों पर और मर्द मर्दों पर इक्तिफ़ा ना करें, और अल्सहाक़ औरत का औरत से बाहम मुबाशरत करना औरतों का आपस में ज़िना है

📗 कंज़ुल आमाल जिल्द 14, सफ़ह 226

और इसी में है

हजरत उबी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह रिवायत करते हैं कि हमसे कहा गया

मर्द का मर्द के साथ सोहबत करना और यह उन बातों से है, जिनको अल्लाह और रसूल ने हराम किया, और उन्हीं में से औरत का औरत के साथ मुबाशरत करना और यह उन आमाल में से है, जिनको अल्लाह व रसूल ने हराम किया, और उस पर अल्लाह व रसूल की नाराज़गी है

📗 कंज़ुल आमाल जिल्द 14 सफ़ह 575)

अल इन्तिबाह

आजकल जिस तरह मर्दों में लिवात़त का मर्ज़ तेज़ी से बढ़ रहा है, इसी तरह औरतों में भी हमजिंस परस्ती बढ़ती जा रही है, और ताज्जुब तो यह है कि यूरोप के अक्सर मुमालिक (देशों) में इसे क़ानूनी दर्जा हासिल है, और वहां हमजिंस परस्त औरतें और मर्द आपस में बेझिजक कोर्ट मैरिज कर रहे हैं

हजूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम की पेशनगोई हर्फ़ व हर्फ़ सच साबित हो रही है

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 93--94)

✍️कत्बा अल अबद ख़ाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रिज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर यूपी

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