औरतों का एक साथ पाख़ाना व पेशाब के लिए जाना कैसा


सवाल औरतें एक साथ पाख़ाना व पेशाब के लिए जाती हैं और एक दूसरे की सतर व शर्मगाह (गुप्तांग) को देखती हैं तो क्या हुक्म है)

अल जवाब नाजाइज़ व गुनाह है, जिस तरह मर्द मर्द के सतर और शर्मगाह को नहीं देख सकता, इसी तरह औरत भी औरत की सतर यानी नाफ़ के नीचे से घुटने तक नहीं देख सकती

हदीसे पाक में है हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह रिवायत करते हैं कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया

तर्जमा एक मर्द दूसरे मर्द की सतर की जगह ना देखे और ना औरत दूसरी औरत की सतर की जगह देखे, और ना मर्द दूसरे मर्द के साथ एक लिहाफ़ में बरहना यानी बिल्कुल नंगा सोए और ना औरत दूसरी औरत के साथ एक कपड़े में बरहना सोए

📗 मुस्लिम किताबुल हैज़ बाबुत्तहरीम अन्नज़र इललओरात, सफ़ह 186) 📘 मिश्कात बाबुन्नज़र इलल मख़तूबह, सफ़ह 268)

और हुज़ूर सदरुश्शरिअह अलैहिर्रमह फरमाते हैं

औरत का औरत को देखना इसका वही हुक्म में है, जो मर्द का मर्द की तरफ़ नज़र करने का है, यानी नाफ़ के नीचे से घुटने तक नहीं देख सकती, बाक़ी आज़ा की तरफ़ नज़र कर सकती है, बशर्त यह के शोहवत का अंदेशा ना हो

📚 बहारे शरिअत जिल्द 03 सफ़ह 443)

जब और आज़ा की तरफ़ ख्वाहिश व शहवत पैदा होने की वजह से देखने की मुमानअ्त है तो शर्मगाह की तरफ़ देखना जिससे ख्वाहिश व शहवत का ग़ालिब गुमान बल्के यक़ीन है क्यों कर दुरुस्त होगा

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह 92)

✍️कत्बा अल अबद ख़ाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रिज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर यूपी

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