नए साल की मुबारकबाद देना कैसा


नए साल की मुबारकबाद देना कैसा

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मुसलमानों में अंग्रेज़ी साल के पहले दिन पहली जनवरी को खुशी मनाने मिठाईयां बांटने मुबारकबादियां देने और भेजने का रिवाज आम हो गया है और तरह तरह की फुजूल खर्चियां की जाती हैं

हालांकि पहली जनवरी हो या पहली अप्रेल (अप्रेल फूल) २५ दिसम्बर बड़ा दिन हो या गुड फ्राइडे, इन सब का इस्लाम और मुसलमानों से कोई तअल्लुक नहीं बल्कि इनको अहमियत देना या त्योहार समझना ईसाईयत है और काफिरों और गैर मुस्लिमों का तरीकए कार मुसलमानों को चाहिए इस्लामी त्योहार मनायें और इस्लामी दिनों को अहमियत दें ईसाईयत न अपनायें कहीं ऐसा न हो कि आपका हश्र ईसाईयों के साथ हो

हदीस शरीफ में है अल्लाह तआला के रसूल सय्यिदे आलम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा ﷺ फ़रमाते हैं जो जिस कौम का तरीकए कार अपनाए वह उन्हीं में से है

आजकल मुसलमानों में बच्चों की सालगिरह मनाने का रिवाज भी बहुत ज़ोर पकड़ गया है और इसमें गैर ज़रूरी अख़राजात किये जाते हैं और केक काटे जाते हैं यह सब भी इस्लामी नुकतए नज़र से कुछ अच्छा नहीं मालूम होता इसमें अंग्रेज़ी तहज़ीब और ईसाईयत की बू आती है

📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न.137,138)

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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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