जमाअत की नमाज़ के लिए तकबीर खड़े होकर सुनना ?

 जमाअत की नमाज़ के लिए तकबीर खड़े होकर सुनना ?

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जब तकबीर कहने वाला हय्या-अल्स्सलाह और हय्या अलल फ़लाह कहे इमाम और मुक्तदि जो वहां मौजूद हो उनको उसी वक्त खड़ा होना चाहिए मगर बाअज़ जगह शुरू तकबीर से खड़े होने का रिवाज पड़ गया है और वह लोग इस रिवाज पर इतने अड़ जाते हैं कि हादीसों और फिक़ही किताबों की परवाह नहीं करते और मनमानी ज़िद और हठधर्मी से काम लेते हैं। फतावा आलमगीरी जो बादशाह औरंगज़ेब आलमगीर रहमतुल्लाह अलैही के हुक्म से अब से तकरीबन साढ़े तीन सौ साल पहले उस दौर के सभी बड़े-बड़े ओलमा ने मशवरे के साथ लिखी उसमें है।

يقوم القوم و الامام اذا قال المؤذن حي على الفلاح


कि मुअज्ज़िन जिस वक्त हय्या अलल फ़लाह कहे तब इमाम और मुक्तदियों को खड़ा होना चाहिए

📚 (फ़तावा आलमगीरी, जिल्द 01 किताबुस्सलाह, बाबुल अज़ान फ़स्ल 02 सफ़्हा 58)

📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न: 32)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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