हर नापाकी पर ग़ुस्ल करना ज़रूरी नहीं ?



 हर नापाकी पर ग़ुस्ल करना ज़रूरी नहीं ?

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अक्सर देखा गया है कि लोगों से पूछा कि आपने नमाज़ क्यों नहीं पढ़ी, तो जवाब मिलता है,,,,,हम नहाये हुए नहीं हैं।

और वजह ये होती है कि या तो उन्होंने पेशाब करने के बाद पानी या ढीले से इस्तिन्जा नहीं किया होता है या फिर उनके कपड़ों पर पेशाब या किसी जानवर के गोबर वग़ैरह या कीचड़ की छींटें वग़ैरह लग जाती हैं, और वो ये ख़्याल कर लेते हैं कि अब इन सूरतों मै उनपर ग़ुस्ल वाजिब हो गया

और बिला वजह के नमाज़ छोड़कर गुनाहगार बन जाते हैं।

जबकि इन सब सूरतों मै नहाने की ज़रूरत नहीं,,,,बल्कि बदन या कपडे के जिस हिस्से मै नापाकी लगी है उसको धो देना या किसी भी तरह उस नापाकी को दूर कर देना ही काफी है। ये भी उस सूरत मै है, जबकि नापाकी दूर करने या उसको धोने पर क़ादिर (क़ुदरत रखता) हो, वरना ऐसे ही नापाक कपड़े मै नमाज़ पढ़ी जाये।

और अगर तीन चौथाई (3/4) से ज़्यादा कपड़ा नापाक हो तो बरहना (नंगे बदन) नमाज़ पढ़े (इसका तरीक़ा ये है कि बैठकर पढ़े, और सजदा सिमट कर करे) और अगर एक चौथाई (1/4) पाक है बाकी नापाक तो "वाजिब" है कि उसी कपड़े से नमाज़ पढ़े।

📚 (बहारे शरीअत, हिस्सा 3, सफ़्हा 46)

मगर ये सब उसी वक़्त है जबकि नापाकी दूर करने या धोने की कोई सूरत न हो, और बदन छुपाने को कोई दूसरा पाक कपड़ा न हो

इन मसाइल की तफ़सील जानने के लिए, फतावा आलमगीरी, फतावा रिज़विया, बहारे शरीअत, क़ानूने शरीअत, निज़ामे शरीअत वग़ैरह का मुताअला करना चाहिए।

ख़ुलासा कलाम ये है कि नमाज़ किसी सूरत मै छोड़ने की इजाज़त नहीं, और हर नापाकी पर नहाना फ़र्ज़ नहीं, ग़ुस्ल फ़र्ज़ होने की क्या-क्या सूरतें है वो पहले बताया जा चुका है।


📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 26,27)


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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