दौर ए हाज़िरा मे महर कितना होना चाहिए❓


 सवाल👇


क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम व मुफ्तियाने एज़ाम इस मसला के बारे में कि दौर ए हाज़िर में कम अज़ कम महर कितना होना चाहिए❓




साईल ➡️ 🌹 मोहम्मद जाहिद (कल्याण महाराष्ट्र)




 जवाब👇


महर कम से कम दस दिरहम है इससे कम नहीं हो सकता ख्वाह सिक्का हो या वैसे ही चांदी या उस क़िमत का कोई सामान, और अगर दिरहम के सिवा कोई और चीज़ महर ठहरी तो उसकी क़िमत अक़्द के वक़्त दस दिरहम से कम ना हो, और अगर उस वक़्त तो उसी क़िमत की थी मगर बाद में कीमत कम हो गई तो औरत वही पाएगी फेरने का उसे हक़ नहीं और अगर उस वक़्त दस दिरहम से कम क़िमत की थी और जिस दिन कब्ज़ा किया क़िमत बढ़ गई तो अक़्द के दिन जो कमी थी वह लेगी, मसलन उस रोज़ उसकी क़िमत आठ दिरहम थी और आज दस दिरहम है तो औरत वह चीज़ लेगी और २ दिरहम और अगर उस चीज़ में कोई नुकसान आ गया तो औरत को एख्तियार है कि दस दिरहम ले या वह चीज़




( बहारे शरीयत जिल्द २ हिस्सा हफ्तुम महर का बयान सफा ६४ ता ६५)




🌷والله و رسولہ اعلم باالصواب🌷




✍🏻 अज़ क़लम👉 नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

3 टिप्पणियाँ

  1. जनाब सवाल करने वाले ने दौर ए हाज़िर लफ्ज़ का भी इस्तेमाल किया है तो जवाब में 10 दिरहम की आज की कीमत बयान करना चाहिए थी जिस दिन आप सवाल का जवाब दे रहे थे और अगर 10 दिरहम का जदीद वजन व मिकदार नहीं मालूम हो पा रही है तो फतावा अलीमिया की तरफ रूजू फरमाए

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