बगैर वुजू के सज्दा ए शुक्र अदा करना कैसा ?


सवाल:
अगर आदमी नापाकी की हालत में हो (यानी वुज़ू टूटा हुआ हो) लेकिन ग़ुस्ल फ़र्ज़ न हो, तो क्या वह बिना वुज़ू सजदा-ए-शुक्र कर सकता है?

🔹 जवाब:
नहीं बिना वुज़ू सजदा-ए-शुक्र नहीं किया जा सकता।
सजदा-ए-शुक्र भी एक इबादत है और हर वो सजदा जो अल्लाह की इबादत के तौर पर किया जाता है (चाहे वह नमाज़ का सजदा हो या सजदा-ए-शुक्र), उसके लिए वुज़ू ज़रूरी होता है।

📌 इसलिए
अगर वुज़ू टूटा है (भले ही गुस्ल फ़र्ज़ न हो), तब भी पहले वुज़ू करें, फिर सजदा-ए-शुक्र करें।

सजदा-ए-शुक्र नमाज़ के हुक्म में है, इसलिए जिस तरह नमाज़ के लिए वुज़ू शर्त है उसी तरह सजदा-ए-शुक्र के लिए भी वुज़ू शर्त है। बिना वुज़ू आदमी सजदा-ए-शुक्र नहीं कर सकता

🔖हवाला फ़तावा-ए-हिन्दिया (जिल्द 1, अहकामुस्सुजूद” वाले बाब) में लिखा है 

"सजदतुस्शुक्र कल-सलाति युश्तरतु लहा अल-ऊज़ू"

तर्जुमा: सजदा-ए-शुक्र नमाज़ की तरह है और उसके लिए भी वुज़ू शर्त है।

खुलासा👇
“हर वो सज्दा जो अल्लाह की इबादत के तौर पर किया जाता है
उसके लिए वुज़ू ज़रूरी होता है चाहे वो नमाज़ का सज्दा हो या सजदा-ए-शुक्र।

वल्लाहो आलमु बिस्सवाब 

कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश 

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