जानवरों की रुह कौन कब्ज करता है ?



अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुह

क्या फ़रमाते हैं उलमा-ए-कराम इस मसअले में कि जानवरों की रूह क़ब्ज़ कौन करता है?

शरीअत की रोशनी में जवाब इनायत फ़रमाएँ, ऐन नवाज़िश होगी। फ़क़त वस्सलाम

साइल: आरिफ़ रज़ा कानपुरी, यू.पी.

व अलैकुमुस्सलाम व रहमतुल्लाह व बरकातुह

अल-जवाब — बऔनिल मलिक — अल-वह्हाब

हक़ीक़त तो अल्लाह तआला ही को मालूम है। अलबत्ता हदीस शरीफ़ में है कि जानवरों और कीड़े-मकोड़ों की रूहें तस्बीह में रहती हैं। जब उनकी तस्बीह ख़त्म हो जाती है तो उन पर मौत तारी हो जाती है। उनकी मौत मलिकुल-मौत के क़ब्ज़े में नहीं होती, यानी अल्लाह तआला उन जानवरों की ज़िंदगी बिला-वास्ता मलिकुल-मौत ख़त्म कर देता है।

कुछ रिवायतों में है कि हज़रत अज़्राईल अलैहिस्सलातु वस्सलाम सिर्फ़ इंसानों की रूह क़ब्ज़ फ़रमाते हैं, बाक़ी एक फ़रिश्ता जिन्नात की, एक फ़रिश्ता शयातीन की, और एक फ़रिश्ता चरिंदों-परिंदों, दरिंदों, मछलियों, कीड़े-मकोड़ों की रूह क़ब्ज़ करने पर मामूर है

और कुछ रिवायतों में है कि मलिकुल-मौत अलैहिस्सलाम हर जानदार, यानी इंसान व जिन्न और तमाम बहाइम की रूह क़ब्ज़ फ़रमाते हैं

वल्लाहु व रसूलुहू अअलम

(शरहुस्सुदूर, सफ़ा नः 119 से 121) (फ़तावा-ए-हदीसिया, सफा नः 20) (ज़रक़ानी, जिल्द 1, पृष्ठ 51) हवाला: मख़ज़न-ए-मालूमात, सफा नः 63 से 64 (मकतबा नईमिया दिल्ली)

वल्लाहु व रसूलुहू अअलम बिस्सवाब

कत्बा: उबैदुल्लाह बरेलवी ख़ादिमुत्तदरीस, मदरसा दार-ए-अरक़म मुहम्मदिया मीरगंज, बरेली शरीफ़ यू पी 

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