नमाज़ वित्र मे दुआएं कुनूत भूल जाए तो क्या करे ?
अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि इमाम साहब वित्र मे दुआएं कुनूत पढ़ना भूल जाए और रुकू मे चला जाए लुक़मा मिलने के बाद कयाम की तरफ लौट आए तो उसका क्या हुक्म है बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम
साइल> मोहम्मद ग़रीब नवाज़ मिस्बाही
व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब
जो शख्स दुआएं कुनूत पढ़ना भूल जाए और रुकू मे चला जाए तो उसके लिए जाइज़ नही कि वो दुआएं कुनूत पढ़ने के लिए रूकू से पलटे ब्लकि हुक्म है कि वो नमाज़ पूरी करे और आखिर मे सज्दा सहु करे फिर अगर खुद ही याद आ जाए और रुकू से पलट कर दुआएं कुनूत पढ़े तवासह ये है कि बुरा क्या गुनहगार हुआ मगर नमाज़ फासिद न हुई दुर्रे अल मुख्तार मे है
لوسھاعن القنوت فرکع فانہ لوعادوقنت لاتفسدعلی الاصح اھ
मगर सूरते मुस्तफ्सेरा मे जब मुक्तदी ने अम्र नाजायज़ के लिए लुक्मा दिया तो उसकी नमाज़ फासिद हो गई फिर इमाम उसके बताने से पलटा और वो नमाज़ से खारिज था इमाम की नमाज़ भी फासिद हो गई और उसके सबब किसी की नमाज़ न हुई
(बहवाला फतावा फैजुल रसूल जिल्द 01 सफा नः 386)
वल्लाहो आलमु बिस्सवाब
कत्बा अबु ज़िया गुलाम रसूल साअदी कटीहारी मुक़ीम हाल बलगाम कर्नाटक
हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी