एक शख्स दो जगह अज़ान दे सकता है या नही




अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

क्या फरमातें है उलमाए एकराम व मुफ्तियान ए एजा़म मसअला के बारे में कि ज़ैद जो कि मुअज्ज़न है एक मस्जिद मे अज़ान देने के बाद दूसरी मस्जिद या किसी एैसी जगह फर्जी तौर पांच वक्त की नमाज़ अदा की जाती है वहां के लिए अज़ान देना कैसा बहवाला जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी आपकी फक्त वस्सालाम

साइल> मोहम्मद फुरकान खान

व अलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

अल जवाब अल्ला हुम्मा हिदायतु अलहक़ बिस्सावाब

 एक मुअज्ज़न को दो जगह अज़ान देना मस्जिद अव्वल मे नमाज़ पढ़ने के बाद मस्जिद सानी मे उसी मुअज्ज़न का अज़ान देना मकरुह है 
जैसा कि दर्रे अल मुख्तार मे है
 
ویکرہ لہ أن یٔوذن فی مسجدین 

(बा हवाला दर्रे अल मुख्तार जिल्द 01 सफा नः 268)

अगर दूसरी मस्जिद मे मुअज्ज़न न हो तो यही मुअज्ज़न वहां भी अज़ान दे सकता है 

वल्लाहो आलमु बिस्सवाब

कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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