दरियाए नील का मुकम्मल बयान



सवाल- दरियाए नील के लिए हजरते उमर ने जो खत लिखा था उस खत को दरिया में डालने के बाद दरियाए नील पहले से कितने गज ऊपर चढ़कर बहने लगा था ?

जवाब - 16 गज 

नोट जब हजरते उमर के जमाने में मिस्र फतेह हुआ और अम्र बिन आस ने इसलामी परचम मिस्र में लहराया - उस जमाने में दरियाए नील हर साल खुश्क हो जाता था और वहाँ के लोग एक कुवारी लड़की को दुल्हन बनाकर उस दरिया में भेंट चढ़ा दिया करते थे और दरिया पहले की तरह बहने लगता था लेकिन अम्र बिन आस ने जब इस रस्म को सुना तब लोगों को रोका और फरमाया कि यह गैर इसलामी है । लोगों ने कहा कि फिर यह खुश्क दरिया किस तरह बहे । तब हजरते अम्र बिन आस ने अमीरूल मोमिनीन हजरते उमर के पास खत लिखा कि ऐसी सूरत में मुझे क्या करना चाहिए । हज़रते उमर ने सख्ती के साथ इस गैर इसलामी रस्म को रोकने के लिए लिखा और साथ ही साथ एक रूक्का लिखा और खत में लिख दिया कि इस रूक्के को दरियाए नील में डाल देना जैसे ही वह खत दरियार में डाला तो दरियाए नील पहले से सोलह गज़ ऊपर बहने लगा । इस वाकिए से हमें यह पता चलता है कि गैर इसलामी रस्म को अदा करने से कितना ही बड़ा फायदा क्यूँ न हो हमे उस पर अमल नहीं करना चाहिए । आज के दौर के लोगों को इससे सबक लेना चाहिए ।

📝सवाल न . 40 - हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सोने की अगूंठी किसके लिए जाइज फरमाई ?

जवाब : - बर्रा बिन आजिब रदियल्लाहु तआला अन्हु के लिए ।

📝सवाल न , 41 : - जंगे उहद के मौके पर रसूल - ए - अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चेहर से जो खून निकला था वह किस सहाबी ने चूस - चूस कर पि लिया था ?

जवाब - हजरते मालिक बिन सिनान ने - - - रसूल - ए - अकरम ने फरमाया कि जिसने मेरा खून पी लिया जहन्नम की क्या मजाल जो उसे छू सके ।

कत्बा नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी खतीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हजरत मन्सूर शाह रहमातुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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