किन सूरतों में रोज़ा टूटने से क़ज़ा और कफ्फारा है



किन सूरतों में रोज़ा टूटने से क़ज़ा और कफ्फारा दोनों वाजिब है

जवाब जान बूझ कर खा पी लेना ★ किसी दूसरे के लुआब (थूक) चाट लेना ★ बीवी से सोहबत करना जबकि रोज़ा याद हो ★ जान बूझ कर कच्चा गोश्त या चावल खा लेना ★ जान बूझ कर सिगार, हुक्का, बीड़ी सिगरेट वगैरा पीना ★ अगर किसी ने थोड़ी सी नस्वार रोज़ा की हालत में मुंह में रख कर फौरन निकाल दी और उसका पूरा यक़ीन हो कि नस्वार का कोई जुज़्व (हिस्सा) हल्क़ में नहीं गया तो रोज़ा फासिद नहीं होगा मगर बिल इत्तिफाक मकरूह है, चूंकि नस्वार का मुंह में थोड़ी सी रखने से उसका मक़्सद हासिल नहीं होता लिहाज़ा उसको उमूमन ज़ियादा देर रखा जाता है और उसके रखने से लुआब (थूक) भी ज़ियादा पैदा होता है लिहाज़ा नस्वार के मुरव्वजा इस्तेमाल को मुफसिदे सोम (रोज़े का टूटना) क़रार दिया गया है

📚 बहारे शरीअत जिल्द अव्वल सफा 986

📚 फजाइल व मसाइल रमज़ानुल मुबारक सफा 6

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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