मज़ाक में झूट बोलना



मज़ाक में झूट बोलना कैसा

     ••──────•••◦★◦•••──────••

बताते हैं कि पुराने ज़माने में एक चरवाहा अपनी बकरियाँ चराया करता था

एक दिन उसने यूंही दिल लगी करते हुए शोर मचाया लोगो दौड़ो दौड़ो भेड़िया आ गया

बस्ती से तमाम लोग दौड़ पड़े. मगर वहाँ जाकर देखा कि चरवाहा मजे में हँस रहा है और बकरियाँ सही व सालिम चर रही हैं वह लोग बहुत शरमिन्दा हुए और वापस चले गए

इसी तरह एक दिन चरवाहे को फिर शरारत सूझी और भेड़िया भेड़िया कहते हुए मदद के लिये लोगों को पुकारने लगा लोग उसकी मदद को दौड़े लेकिन फिर शरमिन्दा होकर वापस आना पड़ा

एक दिन ऐसा हुआ कि सच मुच भेड़िया आ गया अब वह लाख शोर मचाता है और आवाज़ पर आवाज दे रहा है मगर कोई मदद को नहीं आया क्योंकि अब उसका एतेबार उठ चुका था और नतीजा यह हुआ कि भेड़िया उसकी तमाम बकरियाँ चट कर गया

प्यारे बच्चो देखो हमारे आका ने हमें कितनी अच्छी नसीहत फरमाई है अगर उस चरवाहे को यह नसीहत याद होती तो वह यकीनन उस भारी नुक्सान से बच जाता 

मोमिन उस वक्त तक पक्का मोमिन नहीं बनता जब तक कि हँसी मजाक में भी झूट बोलना तर्क न करदे

📗 (मुस्नद अहमदः 17/453 हदीसः 8411)

◐​┄┅════❁★❁════┅┄​◐

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

Post a Comment

और नया पुराने