क़ुरआन ए पाक देख कर लुक़्मा देना जाइज़ नहीं


 🔶 क़ुरआन ए पाक देख कर लुक़्मा देना जाइज़ नहीं 🔶

लुक्मा देने वाले को इस बात की इजाज़त नहीं कि वोह क़ुरआने पाक देख कर लुक़्मा दे कि मुस्हफ़ देख कर लुक़्मा देना, लुक़्मा देने वाले की नमाज़ को फ़ासिद कर देता है कि नमाज़ में मुस्हफ़ शरीफ़ से देख कर क़ुरआन पढ़ना मुत्लक़न मुफ़सिदे नमाज़ है यूं ही अगर मेहराब वगैरा में लिखा हो उसे देख कर पढ़ना भी मुफ़सिदे नमाज़ है, हां अगर याद पर पढ़ता हो मुस्हफ़ या मेहराब पर फ़क़त नज़र पड़ गई तो हरज नहीं।

चुनान्चे जिस सूरत में इस की नमाज़ टूट जाती है इस ने इमाम को लुक़्मा दिया तो उस की नमाज़ भी गई कि इस के मुस्हफ़ वगैरा से देख कर नमाज़ पढ़ते ही खुद इस की नमाज़ फ़ासिद हो गई और वोह नमाज़ से खारिज हो गया और नमाज़ से खारिज का लुक़्मा लेने पर इमाम की नमाज़ भी फ़ासिद हो गई

📚 नमाज़ में लुक़्मा देने के मसाइल स.26

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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