औरतों का दूध बेचना कैसा है ?



 औरतों का दूध बेचना कैसा है ? 

(मसला):आजकल कुछ जगहों पर औरतों का दूध निकालकर एक जगह जमा किया जाता है जिसे “मिल्क बैंक” या “दूध बैंक” कहा जाता है।क्या शरीअत की नज़र में ऐसा करना जायज़ है

(जवाब):अगर इसमें कोई हराम चीज़ न हो, तो औरतों का दूध निकालकर दूध बैंक में जमा करना जायज़ है

लेकिन कुछ शर्तें ज़रूरी हैं 👇

1️⃣ दूध औरत खुद या उसका शौहर निकाले। 2️⃣ दूध निकालने वाली मशीन का पाइप औरत खुद या उसका शौहर लगाए।3️⃣ यह सब ऐसी जगह पर हो जहाँ कोई गैर-महरम मौजूद न हो क्योंकि सीना (पिस्तान) सतर का हिस्सा है और उसे छिपाना वाजिब है

📚 रद्दुल मुहतार (जिल्द 2 सफ़ा 75) में है कि


یجب الستر بحضرۃ الناس اجماعاً

यानी लोगों के सामने सतर ढकना इज्मा से वाजिब है


🚫 दूसरी बात:

औरत का दूध बेचना जायज़ नहीं क्योंकि यह उसके शरीर का हिस्सा है और इंसान के किसी हिस्से की बिक्री शरीअत में हराम है 📖 हिदाया आख़िरीन (किताबुल बयू, सफ़ा 55) में है कि


لا بیع لبن امرأۃ... لأنه جزء الآدمی وھو مکرم عن الابتذال بالبیع

यानी औरत का दूध बेचना जायज़ नहीं, क्योंकि वह इंसान का हिस्सा है और उसे बेचकर ज़लील नहीं किया जा सकता

🧾तीसरी शर्त

जिन औरतों का दूध लिया गया है उनका नाम व पूरी तफ़सील उस बच्चे के माँ-बाप को दी जाए,और बच्चे की तफ़सील उन औरतों को दी जाए जिनका दूध लिया गया है क्योंकि इससे रज़ाअत (दूध पिलाने से रिश्ता) साबित होता है इसलिए तफ़सीलें लिखकर सुरक्षित रखना ज़रूरी है

नतीजा: इन सब शर्तों के साथ औरतों का दूध निकालकर मिल्क बैंक में जमा करना जायज़ है अगर किसी ढाई साल तक के बच्चे को यह दूध पिलाया जाए तो रज़ाअत (दूध पिलाने का रिश्ता) साबित होगा 📚 फ़तावा-ए-हिन्दिया (जिल्द 1, सफ़ा 342)


وقت الرضاع مقدار بثلاثین شہراً

यानी रज़ाअत का वक़्त 30 महीने (ढाई साल) तक होता है

अगर कई औरतों का दूध मिलाया गया हो तो रज़ाअत सबसे साबित होगी जिनका दूध मिला हो 

यही ज़्यादा एहतियात और सही क़ौल है 📘 फ़तावा-ए-हिन्दिया (जिल्द 1, सफ़ा 344


واذا اختلط لبن امرأتین تعلق التحریم بھما کیفما کان وهو الأظهر والأحوط


📕 दर्र-ए-मुख़तार (जिल्द 4, सफ़ा 412)


علق محمد الحرمۃ بالمرأتین مطلقاً، قیل هو الأصح


वल्लाहो आलमु बिस्सवाब 


✍️ कत्बा ग़ुलाम आल-ए-रसूल रज़वी मज़हरी दौरतुत्तख़स्सुस फ़िल फ़िक्हिल हनफ़ी, जामिआ सादिया अरबिया, केरल)


अल जवाब सहीह मुहम्मद अशफ़ाक़ अहमद रज़वी मिस्बाही (सदर, शुबा-ए-इफ्ता, जामिआ सादिया अरबिया, केरल)

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