सवाल शीशा (यह एक धात का नाम है) की अंगूठी और झन्कार वाला पायल पहनना कैसा है
अल जवाब शीशा की अंगूठी और बजने वाला या ख़ूब झन्कार वाला पायल पहनना दोनों शरअ् में ममनूअ् हैं
अल्लाह तआला फ़रमाता है
ولا يضربن بارجلهن ليعلم ما يخفين من زينتهن
📚 पारा 18, सूरह नूर, आयत 31)
यानी औरतों को हुक्म दिया जा रहा है कि वह ज़मीन पर दोनों पांव या एक पांव दूसरे पर ना मारा करें ताकि पाज़ेब की झन्कार पैदा हो और लोगों को पता चल जाए कि यह औरत पाज़ेब पहने हुए है
क्योंकि ऐसा करने में मर्दों में ऐसी औरत की तरफ़ मीलान पैदा होता है
मरवी है कि अरब में यह रिवाज था कि औरत चलते वक़्त ज़मीन पर आम रफ़्तार की बानिस्बत ज़रा ज़ोर से पांव रखती थी ताकि लोगों को मालूम हो जाए कि उसने पाज़ेब पहनी हुई है या एक पांव दूसरे पर ज़ोर से मारती ताकि झन्कार से लोगों को पहने हुए ज़ेवरात का इल्म हो जाए तो अल्लाह तआला ने औरतों को इससे मना फ़रमाया
📚 तफ़्सीराते अहमदिया, उर्दू सफ़ह 757)
जब ख़ालिस पाज़ेब पहनी हुई औरत को मना किया जा रहा है कि ज़ोर से एक पांव दूसरे पर ना मारे इसलिए के उससे आवाज़ पैदा होगी जो मर्दों के मीलान का सबब होगा तो वह पाज़ेब जो झन्कार और बजने वाला है और मीलान का सर चश्मा से वह पहनना क्यों कर दुरुस्त होगा और अल्लाह तआला ऐसे शख़्स की दुआ भी क़ुबूल नहीं फ़रमाता है जो अपनी औरत को झन्कार दार बजने वाला पाज़ेब पहनाए
जैसा के तफ़्सीराते अहमदिया मैं मज़कूरा आयते करीमा के तहत हदीसे पाक हैं
ان الله يستجب دعاء يلبسون الخلخال نساءهم
📚 तफ़्सीराते अहमदिया अरबी सफ़ह 307)
और शीशा की अंगूठी के मुताल्लिक़ जोहरा नीरह में है
लोहा तांबा पीतल, और शीशे की अंगूठी पहनना मर्दों और औरतों के लिए नाजाइज़ है इसलिए कि वह जहन्नमियों का पहनावा है
📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल, सफ़ह 31)
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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