सजदा ए सहव का मुकम्मल बयान


सवाल सजदा ए सहव किसे कहते हैं

जवाब सहव के मअना हैं भूलने के कभी नमाज़ में भूल से कोई ख़ास ख़राबी पैदा होती है उस ख़राबी को दूर करने के लिए क़अदा ए आख़ीरा में दो (2) सजदे किये जाते हैं उनको सजदा ए सहव कहते हैं

सवाल सजदा ए सहव का तरीक़ा क्या है

जवाब सजदा ए सहव का तरीक़ा ये है के आख़िरी क़अदा में अत्तहीयात व रसूलूहू तक पढ़ने के बाद सिर्फ़ दाहिनी तरफ़ सलाम फेरकर दो (2) सजदे करे फिर तश्हहुद यानी अत्तहीयात दुरूद शरीफ़ और दुआ पढ़कर सलाम फेर दे

📚 आलम गीरी 📚 दुर्रेमुख़्तार 📚 बहारे शरीअत वग़ैरह

सवाल किन बातों से सजदा ए सहव वाजिब होता है

जवाब जो बातें नमाज़ में वाजिब हैं उनमें से किसी एक के भूलकर छूट जाने से सजदा ए सहव वाजिब होता है मसलन फ़र्ज़ की पहली या दूसरी रकअत में अलहम्दू या सूरत पढ़ना भूल गया या अलहम्दू से पहले सूरत पढ़दी तो इन सूरतों में सजदा ए सहव करना वाजिब होता है

📚 फ़तावा शामी 📚 बहारे शरीअत वग़ैरह

सवाल फ़र्ज़ और सुन्नत के छूट जाने से सजदा ए सहव वाजिब होता है या नहीं

जवाब फ़र्ज़ छूट जाने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है, सजदा ए सहव से उसकी तलाफ़ी नहीं हो सकती लिहाज़ा फिर से पढ़ना पड़ेगा और सुन्नत व मुसतहब मसलन तअव्वुज़ तस्मियह, सना आमीन, और तक्बीराते इन्तिक़ाल के छूट जाने से सजदा ए सहव वाजिब नहीं होता बल्के नमाज़ हो जाती है मगर दोबारा पढ़ना मुसतहब है

📚 ग़ुनियातुत्तालिबीन

सवाल किसी वाजिब को क़सदन छोड़ दिया तो सजदा ए सहव से तलाफ़ी होगी या नहीं

जवाब किसी वाजिब को क़सदन छोड़ दिया तो सजदा ए सहव से उस नुक़सान की तलाफ़ी नहीं होगी बल्के नमाज़ को दोबारा पढ़ना वाजिब होगा इसी तरह अगर भूल कर किसी वाजिब को छोड़ दिया और सजदा ए सहव न किया जब भी नमाज़ का दोबारा पढ़ना वाजिब है

सवाल एक नमाज़ में कई वाजिब छूट गए तो क्या हुक्म है

जवाब इस सूरत में भी सहव के वही दो सजदे काफ़ी हैं 📚 रद्दुलमोहतार

सवाल रुकू सजदा या क़अदा में भूलकर क़ुरआन पढ़ दिया तो क्या हुक्म है

जवाब इस सूरत में भी सजदा ए सहव वाजिब है

📚 आलम गीरी 📚 बहारे शरीअत

सवाल फ़र्ज़ या वित्र में क़अदा ए ऊला भूलकर तीसरी रकअत के लिए खड़ा हो रहा था के याद आगया तो इस सूरत में क्या करे

जवाब अगर अभी सीधा नहीं खड़ा हुआ है तो बैठ जाए और सजदा ए सहव न करे और अगर सीधा खड़ा हो गया तो ना लौटे और आख़िर में सजदा ए सहव करे, और अगर लौटा तो इस सूरत में भी सजदा ए सहव वाजिब है

📚 बहारे शरीअत 📗 अनवारे शरीअत, उर्दू, सफ़ह 77/78)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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