उश्ऱ का मुकम्मल बयान !?


ज़मीन यानी खेतों में जो पैदावार होती है उसके मुतअल्लिक़ कुछ मसाइल मुलाहिज़ा फ़रमाएं

सवाल किन चीजों की पैदावार में उश्ऱ वाजिब है

जवाब गैंहू🌾जौ🌾ज्वार🌾बाजरह🌾धान🌾

और हर क़िस्म के ग़ल्ले और अलसी कुसुम अख़रोट बादाम और हर क़िस्म के मेवे

रूई फूल🌹 गन्ना🎋 ख़रबूज़ तरबूज़🍉 खीरा🥒 ककड़ी बैगन🍆 और हर क़िस्म की तरकारी सबमें उश्ऱ वाजिब है थोड़ा पैदा हो या ज़्यादा 📚 बहारे शरीअत

सवाल किन सूरतों में दसवां (10.वां,) हिस्सा और किन सूरतों में बीसवां (20.वां) हिस्सा वाजिब होता है

जवाब जो पैदावार बारिश या ज़मीन की नमी से हो उसमें दसवां हिस्सा वाजिब होता है और जो पैदावार चर से डोल पम्पिंग मशीन या ट्यूबवैल वग़ैरह के पानी से हो या ख़रीदे हुए पानी से हो उसमें बीसवां हिस्सा वाजिब होता है 📚 दुर्रेमुख़्तार

सवाल क्या खेती के अख़राजात (ख़र्चा) हल बैल और काम करने वालों की मज़दूरी निकाल कर दसवां बीसवां वाजिब होता है

जवाब नहीं बल्के पूरी पैदावार का दसवां बीसवां वाजिब है

सवाल गौरमेंन्ट को जो मालगुज़ारी दी जाती है वो उश्ऱ की रक़म से मुजरा की जाएगी या नहीं

जवाब वो रक़म उश्ऱ से मुजरा नहीं की जाएगी

📚 फ़तावा रज़वीयह 📚 बहारे शरीअत

सवाल ज़मीन अगर बटाई पर दी तो उश्ऱ किस पर वाजिब है

जवाब ज़मीन अगर बटाई पर दी तो उश्ऱ दोनों पर वाजिब है 📚 रद्दुलमोहतार)

ज़कात का माल किन लोगों पर सर्फ़ किया जाए

सवाल ज़कात और उश्ऱ का माल किन लोगों को दिया जाता है

जवाब जिन लोगों को ज़कात दी जाती है उनमें से चन्द ये हैं

01 फ़कीर यानी वो शख़्स के जिसके पास कुछ माल है लेकिन निसाब भर नहीं

02 मिस्कीन यानी वो शख़्स कि जिसके पास खाने के लिए ग़ल्ला और बदन छुपाने के लिए कपड़ा भी ना हों

03 क़र्ज़दार यानी वो शख़्स कि जिसके ज़िम्मा क़र्ज़ हो और उसके पास क़र्ज़ से फ़ाज़िल कोई माल ब क़दरे निसाब ना हो

04 मुसाफ़िर जिसके पास सफ़र की हालत में माल ना रहा उसे ब क़दरे ज़रूरत ज़कात देना जाइज़ है

📚 दुर्रेमुख़्तार 📚 रद्दुलमोहतार 📚 आलम गीरी 📚 बहारे शरीअत)

सवाल किन लोगों को ज़कात देना जाइज़ नहीं

जवाब जिन लोगों को ज़कात देना जाइज़ नहीं उनमें से चन्द ये हैं

01 मालदार यानी वो शख़्स जो मालिके निसाब हो

02 बनी हाशिम यानी हज़रते अली हज़रते जअफ़र हज़रते अक़ील और हज़रते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को ज़कात देना जाइज़ नहीं

03 अपनी असल और फ़रअ यानी मां बाप दादा दादी नाना नानी वग़ैरहुम और बेटा बेटी पोता पोती नवासा नवासी को ज़कात देना जाइज़ नहीं

04 औरत अपने शौहर को और शौहर अपनी औरत को अगरचे तलाक़ देदी हो ता वक़्त ये कि इद्दत में हो ज़कात नहीं दे सकता

05 मालदार मर्द के नाबालिग़ बच्चे को ज़कात नहीं दे सकता और मालदार की बालिग़ औलाद को जब्के मालिके निसाब ना हो दे सकता है

06 वहाबी या किसी दूसरे मुर्तद और बदमज़हब और काफ़िर को ज़कात देना जाइज़ नहीं📚 दुर्रेमुख़्तार 📚 रद्दुलमोहतार 📚 आलम गीरी)

सवाल सैय्यद को ज़कात देना जाइज़ है या नहीं

जवाब सैय्यद को ज़कात देना जाइज़ नहीं इसलिए कि वो भी बनी हाशिम में से हैं

सवाल ज़कात का पैसा मस्जिद में लगाना जाइज़ है या नहीं

जवाब ज़कात का माल मस्जिद में लगाना मदरसा तामीर करना उससे मय्यत को कफ़न देना या कुआं वग़ैरह बनवाना जाइज़ नहीं यानी अगर इन चीजों में ज़कात का माल ख़र्च करेगा तो ज़कात अदा ना होगी 📚 बहारे शरीअत)

सवाल किसी ग़रीब के ज़िम्मा रूपया बाक़ी है तो उसे मुआफ़ कर देने से ज़कात अदा होगी या नहीं

जवाब मुआफ़ कर देने से ज़कात अदा ना होगी, हां अगर उसके हाथ में ज़कात का माल देकर ले ले तो अदा हो जाएगी 📚 दुर्रेमुख़्तार 📚 बहारे शरीअत)

सवाल कुछ लोग अपने आप को ख़ानदानी फ़कीर कहते हैं उनको ज़कात और ग़ल्ला का उश्ऱ देना जाइज़ है या नहीं

जवाब अगर वो लोग साहिबे निसाब हों तो उन्हें ज़कात और उश्ऱ देना जाइज़ नहीं

सवाल किन लोगों को ज़कात देना अफ़ज़ल है

जवाब ज़कात और सदक़ात में अफ़ज़ल ये है के पहले अपने भाईयों बहनों को दे फिर उनकी औलाद को फिर चचा और फूफियों को फिर उनकी औलाद को फिर मामू और ख़ाला को फिर उनकी औलाद को फिर दूसरे रिश्तादारों को फिर पड़ोसियों को फिर अपने पेशावालों को फिर अपने शहर या गांव के रहने वालों को और ऐसे तालिबे इल्म को भी ज़कात देना अफ़ज़ल है के जो इल्मे दीन हासिल कर रहा हो ब शर्त ये के ये लोग मालिके निसाब ना हों

📚 बहारे शरीअत 📗 अनवारे शरीअत सफ़ह 122/123/124/125)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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