इस्तिलाहाते शरीईयह का बयान!?



सवाल फ़र्ज़ और वाजिब किसे कहते हैं

जवाब फ़र्ज़ वो फैएल (अमल) है के उसको जान बूझ कर छोड़ना सख़्त गुनाह और जिस इबादत के अन्दर वो हो बग़ैर उसके वो इबादत दुरुस्त ना हो और वाजिब वो फ़ैएल (अमल) है के उसको जान बूझ कर छोड़ना गुनाह और नमाज़ में क़सदन छोड़ने से नमाज़ का दोबारा पढ़ना ज़रूरी और भूल कर छूट जाए तो सजदा ए सहव लाज़िम

सवाल सुन्नते मुअक्किदा और ग़ैर मुअक्किअदा किसे कहते हैं

जवाब सुन्नते मुअक्किदा वो फ़ैएल (अमल) है के जिसका छोड़ना बुरा और करना सवाब है और इत्तिफ़ाक़न छोड़ने पर ऐताब और छोड़ने की आदत करलेने पर मुस्तहिक़े आज़ाब और सुन्नते ग़ैर मुअक्किदा वो फ़ैएल (अमल) है के उसका करना सवाब और ना करना अगरचे आदतन हो ऐताब नहीं मगर शरअन ना पसंद हो

सवाल मुस्तहब और मुबाह किसे कहते हैं

जवाब मुस्तहब वो फ़ैएल है के जिसका करना सवाब और ना करने पर कुछ गुनाह नहीं और मुबाह वो फ़ैएल है के जिसका करना और ना करना बराबर हो

सवाल हराम और मकरूहे तहरीमी किसे कहते हैं

जवाब हराम वो फ़ैएल (अमल) है के जिसका एक बार भी जान बूझ कर करना सख़्त गुनाह है और उससे बचना फ़र्ज़ और सवाब है और मकरूहे तहरीमी वो फ़ैएल है के जिसके करने से इबादत नाक़िस हो जाती है और करने वाला गुनाहगार होता है अगरचे उसका गुनाह हराम से कम है

सवाल मकरूहे तनज़ीही और ख़िलाफ़ ए ऊला किसे कहते हैं

जवाब मकरूहे तनज़ीही वो फ़ैएल है के जिसका करना शरीअत को पसंद ना हो और उससे बचना बेहतर और सवाब हो और ख़िलाफ़ ए ऊला वो फ़ैएल है के जिसका ना करना बेहतर और करने में कोई मुज़ायक़ा और ऐताब नहीं 📗 अनवारे शरीअत, उर्दू, सफ़ह 53/54)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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