पाँच चीजों की कदर करें !?



          ❝ पाँच चीजों की कदर करें !? ❞
 
••• ➫ नबी अलैहिस्सलाम ने इरशाद फरमाया पाँच को पाँच से गनीमत समझो!

❶ ➪ ज़िन्दगी को गनीमत समझो मौत से पहले 

❷ ➪ फुरसत को गनीमत समझो मशगूली से पहले

❸ ➪ जवानी को गनीमत समझो बुढ़ापे से पहले

❹ ➪ माल को गनीमत समझो फिर से पहले। 

❺ ➪ और सेहत को गनीमत समझो बीमारी से पहले 

••• ➫ एक और हदीस पाक में नबी अलैहिस्सलाम ने इरशाद फरमाया दो नेमत ऐसी हैं कि जिन में अकसर लोग धोका खाए हुए हैं!

••• ➫ ( 1 ) सेहत और ( 2 ) फुरसत  

••• ➫ हदीस पाक में यह मजमून आया तो हमें चाहिए कि हम अपने वक्त की कदर करें जो परवरदिगार ने हमें इनआम के तौर पर अता फरमाया बस यह दस दिन हैं डट के मेहनत कर लीजीये फिर इस की बरकतें आप को आखों से महसूस होगी किसी शायर ने कहा 

             नर में हो या नार में रहना 

           हर जगह जिकरे यार में रहना  

        चंद झोंके खेजों के बस सह लो 

              फिर हमेशा बहार में रहना 

••• ➫ बस यह चंद दिन मेहनत के गुज़ारे फिर इसकी बरकतें आप आखों से देखेंगे इनशाल्लाह आज जिस चीज़ की कमी है हमारे अन्दर वह यह कि हम सुनते तो हैं सुन सुन के सुन हो जाते हैं अमल नहीं करते , तु तो सुनना और सुन के अमल करना यह आज वक्त की ज़रुरत है

नमाज़ों की पाबंदी औऱ नेक अमल की नीयत करें
📬 अमल से जिन्दगी बनती है सफ़ह - 20
••• ➫ नबी अलैहिस्सलाम इस बात पर सहाबए किराम से बैअत लिया करते थे कि तुम जो सुनोगे उस पर अमल करोगे उस पर मेरे हाथों पर बैअत करो इसलिए जो लोग सुनते हैं और अमल करते हैं अल्लाह तआला ऐसे लोगों को पसनद फ़रमाता है तो सुनने की नियत यानी अमल की नियत से बैठ कर सुनोगे , एक जगह इरशाद फरमाया इसमें निशानी है उस कौम के लिए जो सुनते हैं और एक जगह फ़रमाया अगर अल्लाह उनके साथ खैर का इरादा करता तो उन को बात सुनवा देता , इस लिए हर बन्दा बात नहीं सुना करता हमारे हज़रत मजमा को फरमाते थे ओह सुन रहे हो फिर फरमाया करते थे तुम नहीं सुन रहे हो तो वाकई सुनने का भी अपना दरजा होता है जहन्नमी जहन्नम में जायेंगे तो फरिशते उनसे पूछेगे कि तुम लोग क्यों जहन्नम में आए तुम्हें कोई समझाने वाला नहीं था ? तो जहन्नमी आगे से जवाब देगें ऐ काश ! अगर हम सुन लेते या हमारे अन्दर अक्ल  की रत्ती होती तो हम दोजख वालों में से न होते तो इस लिए ईमान वाले सुनते हैं और अपनी अक्ल समझ से उस को सोचते हैं और उस को अमली जामा पहनाते हैं आज कल तो इनसान अपने जमीर की आवाज़ खुद नहीं सुनता जब भी कोई इनसान गुनाह करता है तो अल्लाह तआला ने उसके अन्दर एक ज़मीर की नेमत बनाई है वह ज़मीर चीखता है चिल्लाता है वह बताता है मलामत करता है कई नहीं सुनते सुनी अन सुनी कर देते हैं हालांकि वह हमारा सच्चा साथी है

••• ➫ कभी कभी इनसान अपने आप को ज़मीर की अदालत में कटहरे में खड़ा करके अपने बारे में राय ले कि मैं क्या हूँ ? बिल्कुल सहीह फैसला मिलेगा इस लिए कहते हैं अपने आप की हकीकत मालूम करनी हो तो अपनी हकीकत अपने दिल से पूछो वह गवाह है जो कभी रिशवत कबूल नहीं करता , सच्ची गवाही देता है दिल हमेशा बताएगा कि तुम के कितने पानी में हो दुनिया के सामने हम जो बनते फिरें

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कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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