सवाल अज़ान कहना फ़र्ज़ है या सुन्नत
जवाब फ़र्ज़ नमाज़ों को जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करने के लिए अज़ान कहना सुन्नते मुअक्किदा है मगर इसका हुक्म मिस्ल वाजिब के है यानी अगर अज़ान ना कही गई तो वहां के सब लोग गुनाहगार होंगे 📚 फ़तावा क़ाज़ी ख़ां📚 दुर्रेमुख़्तार📚 रद्दुलमौहतार
सवाल अज़ान किस वक़्त कहनी चाहिए
जवाब जब नमाज़ का वक़्त हो जाए तो अज़ान कहनी चाहिए वक़्त से पहले जाइज़ नहीं अगर वक़्त से पहले कही गई तो वक़्त होने पर लौटाई जाए (यानी दोबारा कहें)
सवाल फ़र्ज़ नमाज़ों के अलावा और भी किस वक़्त अज़ान कही जाती है
जवाब हां बच्चे और मग़मूम के कान में मिर्गी वाले ग़ज़बनाक और बदमिज़ाज आदमी या जानवर के कान में सख़्त लड़ाई और आग लगने के वक़्त मय्यत को दफ़न करने के बाद जिन्न की सरकशी के वक़्त और जंगल में रास्ता भूल जाए और कोई बताने वाला ना हो तो इन सूरतों में अज़ान कहना मुस्तहब है📚 बहारे शरीअत📚 फ़तावा शामी, जिल्द 1 सफ़ह 258)
सवाल अज़ान का बेहतर तरीक़ा क्या है
जवाब मस्जिद के सहन से बाहर किसी बुलंद जगह पर क़िब्ला की तरफ़ मुंह करके खड़ा हो और कलिमा की दोनों उंगलियों को कानों में डाल कर बुलंद आवाज़ से अज़ान के कलिमात को ठहर ठहर कर कहे जल्दी ना करे और हय्या अलस्सलाह कहते वक़्त दाहिनी जानिब और हय्या अललफ़लाह कहते वक़्त बाईं जानिब मुंह फ़ेरे
सवाल अज़ान के जवाब का क्या मसअला है
जवाब अज़ान के जवाब का मसअला ये है के अज़ान कहने वाला जो कलिमा कहे तो सुनने वाला भी वही कलिमा कहे मगर हय्या अलस्सलाह और हय्या अललफ़लाह के जवाब में लाहौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह कहे और बेहतर ये है के दोनों कहें और फ़जर की अज़ान में अस्सलातू ख़ैरुम्मिन्नौम के जवाब में सदक़ता व बररता व बिल हक़्क़ नतक़्ता कहे📚 दुर्रेमुख़्तार📚 रद्दुलमौहतार📚 फ़तावा आलम गीरी📚 बहारे शरीअत
सवाल ख़ुत्बा की अज़ान का जवाब देना कैसा है
जवाब ख़ुत्बा की अज़ान का ज़ुबान से जवाब देना मुक़तदियों को जाइज़ नहीं
सवाल तक्बीर यानी इक़ामत कहना कैसा है
जवाब इक़ामत कहना भी सुन्नते मुअक्किदा है इसकी ताकीद अज़ान से ज़्यादा है
सवाल क्या अज़ान कहने वाला ही इक़ामत कहे दूसरा ना कहे
जवाब हां अज़ान कहने वाला ही इक़ामत कहे उसकी इजाज़त के बग़ैर दूसरा ना कहे अगर बग़ैर इजाज़त दूसरे ने कही और अज़ान देने वाले को ना गवार हो तो मकरूह है📚 आलम गीरी📚 बहारे शरीअत
सवाल तक्बीर यानी इक़ामत के वक़्त लोगों का खड़ा रहना कैसा है
जवाब इक़ामत के वक़्त लोगों का खड़ा रहना मकरूह व ममनू है, लिहाज़ा उस वक़्त बैठे रहें, फिर जब इक़ामत यानी तक्बीर कहने वाला हय्या अललफ़लाह पर पहुंचे तो उठें📚 फ़तावा आलम गीरी📚 दुर्रेमुख़्तार📚 फ़तावा शामी📚 त़हत़ावी वग़ैरह
सवाल अज़ान व इक़ामत के दरम्यान सलात पढ़ना कैसा है
जवाब सलात पढ़ना यानी अस्सलातू वस्सलामू अलैका या रसूलल्लाह कहना जाइज़ व मुस्तहसन है इस सलात का नाम इस्तिलाहे शरअ में तस्वीब है और तस्वीब नमाज़े मग़रिब के इलावा बाक़ी नमाज़ों के लिए मुस्तहसन है 📚 फ़तावा आलम गीरी तम्बीह (नोट)👇(1) जो अज़ान के वक़्त बातों में मशगूल रहे उसपर मआज़ अल्लाह ख़ातिमा बुरा होने का ख़ौफ़ है📚 बहारे शरीअत ब हवाला 📚 फ़तावा रज़वीयह (2) जब अज़ान ख़त्म हो जाए तो मुअज़्ज़िन और अज़ान सुनने वाले दुरूद शरीफ़ पढ़ें फिर ये दुआ पढ़ें अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद्दाव्वतित्ताम्मह वस्सलातिल क़ाइमह.....
👆ये दुआ पूरी पढ़ें इसी किताब 📗 अनवारे शरीअत में देखकर याद करलें
मैसेज बड़ा होने की वजह से मुख़्तसर लिखी है (3) जब मुअज़्ज़िन अश्हदूअन्ना मुहम्मदर्रसूलुल्लाह कहे तो सुनने वाला दुरूद शरीफ़ पढ़े और मुस्तहब है के अंगूठों को बोसा दे कर आंखों से लगाए और कहे👇
क़ुर्रतू अईनी बिका या रसूलल्लाह अल्लाहुम्मा मत्तीनी बिस्सम्'ई वल बसर
📚 बहारे शरीअत 📚 फ़तावा शामी 📗 अनवारे शरीअत, उर्दू सफ़ह 39/40/41/42)
कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश
एक टिप्पणी भेजें