अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
(मसअला)
क्या फ़रमाते हैं उलमा-ए-दीन व मुफ़्तियान-ए-शरअ-ए-मतीन इस मसअले के बारे में कि गाँव में मस्जिद की तामीर के सिलसिले में चंदा हो रहा है, तो उस गाँव के हिंदू समाज के लोग भी चंदा दे रहे हैं, तो उसका लेना और मस्जिद में लगाना कैसा है?
(अल-जवाब)
हिंदुओं से चंदे में रुपया लेने से परहेज़ चाहिए, लेकिन अगर वे दें तो उसका मस्जिद में लगाना जायज़ है। मुफ़्ती जलालुद्दीन अमजदी फ़रमाते हैं:
मक्र व फ़रेब और ग़दर व बद-अहदी न हो, तो अपनी ख़ुशी से उसके दिए हुए मसल्ले पर नमाज़ पढ़ना और उसका रुपया मस्जिद की तामीर में लगाना बदरजए ऊला जायज़ है, मगर न लेना बेहतर है
(फ़तावा फ़ैज़ुर्रसूल, 192/1)
वल्लाहु तआला आलमु बिस्सवाब
कतबा: नदीम इब्न अलीम अल-मस्बूर अल-ऐनी
