क्या तीन बार सूरह इख़लास पढ़कर किसी को एक कुरआन बता सकते हैं ?



अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

उलेमा-ए-किराम क्या फ़रमाते हैं कि तीन बार सूरह इख़लास पढ़कर किसी को एक ख़त्म-ए-क़लामुल्लाह शरीफ दे सकते हैं? जवाब इनायत फरमाएँ।

मुसतफ़ती: मोहम्मद ग़ुफ़रान अली मेम्बर ऑफ़ 2 ग्रुप या रसूल अल्लाह ﷺ
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वलैकुम अस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु 

जवाब: अल्लाहुम्मा हदायतुल-हक वस-सवाब

बेशक तीन बार सूरह इख़लास पढ़ने से एक ख़त्म कुरआन का सवाब मिलता है जैसा कि सहीह बुख़ारी शरीफ में है

حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ مَسْلَمَةَ ‏‏‏‏‏‏عَنْ مَالِكٍ ‏‏‏‏‏‏عَنْ عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عَبْدِ الرَّحْمَنِ ‏‏‏‏‏‏عَنْ أَبِيهِ ‏‏‏‏‏‏عَنْ أَبِي سَعِيدٍ ‏‏‏‏‏‏أَنَّ رَجُلًا سَمِعَ رَجُلًا يَقْرَأُ:‏‏‏‏ قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ ‏‏‏‏‏‏يُرَدِّدُهَا ‏‏‏‏‏‏فَلَمَّا أَصْبَحَ ‏‏‏‏‏‏جَاءَ إِلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَذَكَرَ ذَلِكَ لَهُ، ‏‏‏‏‏‏وَكَأَنَّ الرَّجُلَ يَتَقَالُّهَا، ‏‏‏‏‏‏فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:‏‏‏‏ وَالَّذِي نَفْسِي بِيَدِهِ، ‏‏‏‏‏‏إِنَّهَا لَتَعْدِلُ ثُلُثَ الْقُرْآنِ

तरजुमा: हमसे अब्दुल्लाह बिन मुस्लिमह ने बयान किया उनसे इमाम मालिक ने, उनसे अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल्लाह ने, उनसे उनके पिता ने और उनसे अबू सईद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने बयान किया कि एक सहाबी ने सुना कि एक सहाबी क़ुल हुवल्लाहु अहद बार-बार पढ़ रहे थे
जब सुबह हुई तो वह रसूलुल्लाह ﷺ के पास आए और इसका ज़िक्र किया। वह सहाबी इस सूरह को कम समझते थे
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: उस ज़ात की कसम जिसके हाथ में मेरी जान है, यह कुरआन के एक तिहाई के बराबर है
(सहीह बुख़ारी हदीस नं. 6643)

लेकिन कुछ मौलवी इस तरह करते हैं कि तीन बार सूरह इख़लास पढ़कर जिसके घर मौत हो जाए या कोई मांग करे उससे कहते हैं कि एक ख़त्म कुरआन मेरी तरफ से है तो यह क़ौम को धोखा देना है। क़ौम समझती है कि पूरा कुरआन पढ़ा गया है यह धोखा है, और शरीअत में जायज़ नहीं है और अगर यह मान लिया जाए कि तीन बार सूरह इख़लास पढ़ने से पूरा कुरआन का सवाब मिल जाता है, तो फिर कोई कुरआन क्यों पढ़ेगा? सब लोग तीन बार सूरह इख़लास पढ़ लेंगे यह फ़ज़ीलत केवल तरगीब (शौक दिलाने) के लिए है जैसा कि कहा गया कि वालिदैन का चेहरा देखना एक हज का सवाब है इसका मतलब यह नहीं कि वह हाजी बन जाएगा इसी तरह हज़रत अली का चेहरा देखने पर हज का सवाब मिलता है इसका मतलब यह नहीं कि वह हाजी हो गया इसी तरह तीन बार सूरह इख़लास पढ़ने पर जो फ़ज़ीलत है, वह तरगीब के लिए है न कि पूरा कुरआन का सवाब मिल जाएगा अगर ऐसा होता तो कोई कुरआन खत्म न करता सब तीन बार सूरह इख़लास पढ़ लेते

वल्लाहो आलमु बिस्सवाब 

कत्बां: मोहम्मद शफ़ीक़ रज़ा रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मंसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप कशनपुर अल हिन्द 

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