दवा के जरिए हमल रोकना कैसा


सवाल हिंदा के चार पांच बच्चे हैं अब वह ऐसी दवा इस्तेमाल करना चाहती है कि आइंदा दाईमी तौर पर (हमेशा के लिए) कोई बच्चा ना हो और कहती है कि ज़्यादा बच्चे हो जाएंगे तो कौन खिलाए पिलाएगा और कौन पढ़ाए लिखाएगा, तो क्या हुक्म है

अल जवाब सूरत मुस्तफ़सरा में हिंदा का महज़ इस ख़ौफ़ से दाइमी तौर पर हमल ना ठहरने वाली दवा का इस्तेमाल करना के बच्चे ज़्यादा हो जाएंगे तो कौन परवरिश करेगा, कौन तालीम दिलाएगा जाइज़ नहीं, इसलिए कि अल्लाह तआला सबको रिज़्क़ देने वाला है, उसी का इरशाद है

तर्जमा----- हम तुमको भी रोज़ी देते हैं और उनको भी

📘 पारा 7 सूरतुल अनआम, आयत 151)

और ऐसी दवा इस्तेमाल करने की सूरत में उम्मते मुस्लिमा की कसरत न होगी

हालांकि आक़ा ए कायनात सल्लल्लाहू तआला अलैही व सल्लम ने इस उम्मत की ज़्यादती को पसंद फ़रमाया

और अपनी उम्मत के मर्दों को यह हुक्म भी फ़रमाया है कि तुम ऐसी औरत से शादी करो जो ज़्यादा बच्चे देने वाली हो, क्योंकि क़यामत के दिन में तमाम उम्मतों में अपनी उम्मत के तकस्सुर पर (ज़्यादा उम्मत होने पर) फ़ख़्र करूंगा

गिमाफ़िल हदीस

हज़रत मुअक़्क़िल बिन यसार रज़िअल्लाहू तआला अन्ह रिवायत करते हुए फ़रमाते हैं

قال رسول الله صلى الله تعالى عليه وسلم تزرو جوا الودود الو لود فانى مكاثر بكم الامم

📔 मिश्कात किताबुन्निकाह, सफ़ह 267)

लिहाज़ा दाइमी तौर पर हमल ना ठहरने की दवा का इस्तेमाल करना ना जाइज़ व हराम है, हां अगर यह खौफ हो कि सेहत बिगड़ जाएगी या दूध ना होने की बिना पर बच्चे की तंदुरुस्ती ख़राब हो जाएगी तो इस तरह की मजबूरी के तहत वक़्ती तौर पर मानेए् इस्तिक़रारे हमल के लिए दवा का इस्तेमाल जाइज़ है

📔 औरतों के जदीद और अहम मसाइल सफ़ह. 140--141)

कत्बा अल अब्द खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्लाह अलैहि बस स्टैंड किशनपुर जि़ला फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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