क्या काला ख़िज़ाब लगाने वाले जन्नत की ख़ुशबू नहीं पाएंगे

सवाल क्या काला ख़िज़ाब लगाने वाले जन्नत की ख़ुशबू नहीं पाएंगे

अल जवाब हां, सहीह् आहादीस व रिवायात से यह साबित है कि काला ख़िज़ाब लगाने वाले औरत मर्द जन्नत की ख़ुशबू नहीं पाएंगे

हदीस शरीफ़ में है हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया

आख़री ज़माने में कुछ लोग होंगे जो काला ख़िज़ाब इस्तेमाल करेंगे जैसे कबूतर के पोटे वह लोग जन्नत की खुशबू नहीं पाएंगे

📚 अबू दाऊद, बाबुल माजा फ़ी ख़िज़ाबुस्सवाद, जिल्द 2 सफ़ह 578)

आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं

सियाह (यानी काला) ख़िज़ाब मुतलक़न हराम है, और सियाह मुकूल बित्तश्कीक नीला और औदा (यानी शुर्ख़ लिए हुए काले रंग का) कासनी, सब सियाह है और बफ़र्ज़ ग़लत सियाह ना हो तो क़रीब सियाह क़तअन है और हदीसे सहीह् का इरशाद है

لا تقربواالسواد

सियाही के पास ना जाओ

रवाहुल इमाम अहमद अन अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह और हदीस अबू दाऊद व निसाई में कबूतर के पोटे से तश्बीह भी इसी तरफ़ नाज़िर जंगली कबूतरों के पोटे अक्सर नीलगों होते हैं, ख़ास मेंहदी की रंगत गहरी नहीं होती, जब उसमें कुछ पत्तियां नील की मिलादी जाएं तो सुर्ख गहरा रंग हो जाता है, यह हसन है ना यह के इतना नील मिला दिया जाए कि सियाह करदे या पहले मेंहदी से रंग कर जब बाल खूब साफ़ हो गए उसपर नील थोपा कि यह सब वही हराम सूरतें हैं जिनको

اجتنبوا

फ़रमाया


 لايجدون راءحة جن

 फ़रमाया


जिस पर

 سواد الله وجه

 आया

📚 फतावा रिजविया जिल्द 09 सफ़ह 191 निसफ़ आखिर)

✍️कत्बा अल अबद ख़ाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रजा़ रिज़वी ख़तीब व इमाम सुन्नी मस्जिद हज़रत मन्सूर शाह रहमतुल्ला अलैहि बस स्टैंड किशनपुर यूपी

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