फरिश्तों को जासूस कहना कैसा

सवाल मेरा एक सवाल है के फिरिश्तों को जासूस कहना कैसा है, और अगर कोई आलिम ऐसा कहे तो उसके लिए क्या हुक्म है?

जवाब फिरिश्तों को जासूस कहना तौहीन है फतावा शारेह़ बुख़ारी में है कि अम्बिया ए किराम को जासूस कहना कुफ्र है इसी तरह फिरिश्तों को गार्ड या टीटी कहना भी तौहीन है लिहाज़ा आलिम हो या गैरे आलिम फिरिश्तों की शान में ऐसा कहने की वजह से तौबा व अस्तग़फ़ार करे, और अगर कोई मुक़द्दस फरिश्तों की तौहीन की नियत से जासूस कहे तो कुफ्र है तजदीदे इमान व तजदीदे निकाह़ लाज़िम है

📚फ़तावा शारेह़ बुखारी जिल्द 01 सफ्ह नः 575

अज़ क़लम 🌹 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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