शोहदाए कर्बला की फातिहा के बारे उलमाए किराम क्या फरमाते हैं ?


सवाल

इमाम हुसैन और दिगर शोहदाए करबला रदियल्लाहु अन्हुम की नियाज़ व फातिहा के बारे उलमाए किराम क्या फरमाते हैं ? 

जवाब 

आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं फातिहा जाइज़ है रोटी, शीरीनी शरबत जिस चीज़ पर हो मगर ताज़िया पर रख कर या उस के सामने होना जेहालत है और उस पर चढ़ाने के सबब तबर्रूक समझना हिमाक़त है। हां ताज़िया से जुदा जो खालिस सच्ची निय्यत से हज़राते शोहदाए करबला रदियल्लाहु अन्हुम की नियाज़ हो वह ज़रूर तबरीक है

📙 (फतावा रज़विया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 498)

मजीद इरशाद फरमाते हैं हज़रत इमामे हुसैन की नियाज़ खानी चाहिए और ताज़िया का चढ़ा हुआ खाना नहीं खाना चाहिए ताज़िया पर चढ़ाने से हज़रत इमाम हुसैन की नियाज़ नहीं हो जाती और अगर नियाज़ दे कर चढ़ाएं या चड़ा कर नियाज़ दिलाये तो उस के खाने से एहतेराज़ (यानी बचना चाहिए

(फतावा रज़विया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 524)

✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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