साली और भावज से मजाक करना कैसा ❓
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बाज़ लोग साली और भावज से मज़ाक करते बल्कि उसे अपना हक़ ख्याल करते हैं और उन्हें इस किस्म की बातों से रोका टोका जाए तो कहते हैं कि हमारा रिश्ता ही ऐसा है हालांकि इस्लाम में यह मज़ाक हराम बल्कि सख्त हराम जहन्नम का सामान है औरतों और मर्दो के दरमियान मखसूस मामलात से मुतअल्लिक गन्दी और बेहूदा बातें ख्वाह खुले अल्फाज़ में कही जायें या इशारों किनायों में सब मज़ाक हैं और हराम है
हदीस शरीफ़ में जेठ, देवर और बहनोई से पर्दा करने की सख़्त ताकीद आई है और जिस तरह मर्दों के लिए साली और भावज से मजाक हराम है ऐसे ही औरतों को भी देवर और बहनोई से मज़ाक हराम है
📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न.136)
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✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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