बिस्मिल्लाह पढ़ने और ज़िब्ह करने मे ज़्यादा फैसला करना कैसा

 


सवाल

अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू क्या फरमाते है उलेमा ए एकराम व मुफ्तीयान एज़ाम इस मसले के बारे में कि बिस्मिल्लाह पढ़ने और ज़िब्ह करने मे ज़्यादा फैसला हो जाए तो क्या हुक्म है बराए करम जवाब इनायत फरमाए एैन नवाजिश होगी फक़्त वस्सालाम

साइल मोहम्मद कौनैन रज़ा किशनगंज बिहार इंडिया


अल जवाब बिऔनिल मुल्किल अल वहाब

बिस्मिल्लाह कहने और ज़िब्ह करने के दरमियान तवील फैसला न हो और मजलिस बदलने न पाए अगर मजलिस बदल गई और अम्ल कसीर बीच में पाया गया तो जानवर हलाल न हुआ एक लुक्मा खाया या जरा सा पानी पिया या छुरी तेज़ की ये अम्ल कलील है जानवर इस सूरत में हलाल है


ब हवाला दुर्रे अल मुख्तार ज़िल्द 09 सफ्ह नः 504


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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