ज़िब्ह के वक्त बिस्मिल्लाह की हे को जाहिर न करना कैसा

 


सवाल

अस्सालामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू क्या फरमाते है उलेमा ए एकराम व मुफ्तीयान एज़ाम इस मसले के बारे में कि बिस्मिल्लाह की हे को जाहिर न किया तो क्या हुक्म है बराए करम जवाब इनायत फरमाए एैन नवाजिश होगी फक़्त वस्सालाम

साइल हाफिज मोहम्मद शादाब आलम

अल जवाब बिऔनिल मुल्किल अल वहाबअल

बिस्मिल्लाह की हे को जाहिर करना चाहिए अगर जाहिर न की जैसा कि बअज अवाम इसका तल्फुज़ इस तरह करते हैं कि हे जाहिर नही होती और मक़सूद अल्लाह का नाम ज़िक्र करना है तो जानवर हलाल है और अगर ये मक़सद न हो और हे का छोड़ना ही मक़सूद हो तो हलाल नही


ब हवाला दुर्र अल मुख्तार ज़िल्द 09 सफ्ह नः 503


✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

Post a Comment

और नया पुराने