कुर्बानी के मुताअल्लिक एक गलत फहमी की इस्लाह


कुर्बानी के मुताअल्लिक एक गलत फहमी की इस्लाह

बाज़ लोग पुरे घर की तरफ से सिर्फ एक बकरा क़ुरबान करते है हाला की बाज़ अवक़ात घर के कई अफ़राद साहिबे निसाब होते है और इस बिना पर उन सारो पर क़ुरबानी वाजिब होती है उन सब की तरफ से अलग अलग क़ुरबानी की जाए। एक बकरा जो सब की तरफ किया गया किसी का भी वाजिब अदा न हुवा की बकरे में एक से ज़्यादा हिस्से नही हो सकते किसी एक तै शुदा फर्द ही की तरफ से बकरा क़ुरबान हो सकता है। गाय (भेस) और ऊंट में 7 कुर्बानिया हो सकती है

📚आलमगिरी ज़िल्द 05 सफ्ह नः 304

ना-बालिग़ की तरफ से अगर्चे वाजिब नही मगर कर देना बेहतर है (और इजाज़त भी ज़रूरी नही)। बालिग़ औलाद या ज़ौजा की तरफ से क़ुरबानी करना चाहे तो उन से इजाज़त तलब करे अगर उनसे इजाज़त लिए बगर कर दी तो उनकी तरफ से वाजिब अदा नही होगा

बहारे शरीअत ज़िल्द 03 सफ्ह नः 428

✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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