❤ अगर जामेअ शराइत (शरीअत पर अम्ल करने वाला) पीर न मिले तो क्या करे ?
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ख़ुद सही अक़ाइद पर क़ाइम रहे, एहकामे शरीयत पर अमल करे और तमाम औलियाए किराम और ओलमा'ए ज़विल एहतिराम से मोहब्बत करे, किसी ने हुज़ूर पुर नूर सय्यदुना गौसे आज़म रजि अल्लाह तआला अन्हु से अर्ज़ की.... अगर कोई शख्स हुज़ूर का नाम लेवा हो (यानि ग़ौसे पाक का नाम लेवा हो), और उसने ना हुज़ुर (ग़ौसे आज़म) के दस्ते मुबारक पर बैअत की हो, ना हुज़ूर (ग़ौसे आज़म) का खिरक़ा पहना हो, तो क्या वह हुज़ूर (ग़ौसे आज़म) के मुरीदों में है ? तो (ग़ौसे पाक ने) फ़रमाया जो अपने आप को मेरी तरफ़ मंसूब करे, और अपना नाम मेरे ग़ुलामों मै शामिल करे, तो अल्लाह उसे क़ुबूल फरमाएगा, और वह मेरे मुरीदों के ज़िमरे (फेहरिस्त) मै है
(📖बा'हवाला, फ़तावा अफ्रीक़ा, सफ़्हा 140)
अलावा इसके सय्यिदुना शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी अलैहिर् रहमा ने फ़रमाया, कि जिसको पीरे कामिल जामेअ शराइत ना मिले वो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर कसरत से दुरुद शरीफ़ पढ़े
📚 (ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 91)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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