एतिकाफ़ का मुक्कमल बयान ?
❈•───islami────❈───malumat────•❈
एतिकाफ की नियत से अल्लाह के वास्ते मस्जिद में ठहरने का नाम एतिकाफ है। "एतिकाफ" 3 किस्म का है
(नंबर 1-) वाजिब
(नंबर 2-)सुन्नते मुअक्किदह
(नंबर 3-) मुस्तहब
एतिकाफ वाजिब" यह नज़र का एतिकाफ है जैसे:- "किसी ने यह मन्नत मानी कि फला काम हो जाएगा तो मैं 1 दिन या 2 दिन का एतिकाफ करूंगा" तो यह एतिकाफ वाजिब है, इसका पूरा करना ज़रूरी है। ऐतिकाफ वाजिब के लिए रोज़ा रखना शर्त है, बगैर रोज़े के एतिकाफ सही नहीं। एतिकाफ ए सुन्नत ए मुअक्किदह यह रमज़ान के पूरे अशरा ए आख़िरह 'यानी आखिर के 10 दिन' में किया जाए। यानी 20वें रमज़ान को सूरज डूबते वक्त एतिकाफ की नियत से मस्जिद में मौजूद हुआ और तीसवीं को सूरज डूबने के बाद या 29वीं को चांद होने के बाद निकला। अगर 20 तारीख को बाद नमाज़े मग़रिब एतिकाफ की नियत की तो सुन्नते मुअक्किदह अदा ना होगी। यह एतिकाफ सुन्नते मुअक्किदह किफ़ाया है। अगर सब छोड़ दें तो सब पकड़े जाएं (यानी सब गुनहगार हो) और अगर एक ने भी कर लिया तो सब छूट जाएं। इस एतिकाफ में भी रोज़ा शर्त है मगर वही रमज़ान के रोज़े काफी हैं
📖 (दुर्र-ओ-हिन्दयह हिदायाह वग़ैरह)
एतिकाफ ए मुस्तहब एतिकाफ ए वाजिब, और एतिकाफ ए सुन्नत ए मुअक्किदह के अलावा जो एतिकाफ किया जाए वह मुस्तहब है। एतिकाफ ए मुस्तहब के वास्ते रोज़ा शर्त नहीं यह थोड़ी देर का भी हो सकता है,, मस्जिद में जब-जब जाए उस एतिकाफ की नियत कर ले चाहे थोड़ी ही देर मस्जिद में रह कर चला आए जब चला आएगा एतिकाफ ख़त्म हो जाएगा। नियत में सिर्फ इतना काफी है,, कि मैंने खुदा के वास्ते एतिकाफ ए मुस्तहब की नियत की
📚 (ग़लत फेहमियां और उनकी इस्लाह, सफ़्हा न. 74,75)
✍🏻 अज़ क़लम 🌹 खाकसार ना चीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
एक टिप्पणी भेजें