नूर नामा पढ़ना कैसा

 


✿➺ सवाल


नूर नामा पढ़ना कैसा है, हमारे यहाँ की ख़वातीन हर जुमुआ को पढ़ती है क्या ये जाइज़ है? कोई किताब की दलील दीजिए ताकि में बता सकूँ, बराए करम।


❀➺ जवाब


पता नही आप किस किताब नूर नामा की बात कर रहै है. क्यूकी हो सकता है की अब कोई नई और सही रिवायत के साथ शाया हो चुकी हो और अगर एक छोटी किताब नूर नामा जो काफ़ी पुरानी औरतों मे मशहूर है तो उसका पढ़ना सुनना दुरुस्त नही, परहेज़ चाहिए ऐसी महफ़िलो मे जाने से भी, इसकी जगह, मन्नत, हाजत के दीगर अवराद ओ वज़ाइफ़ की तिलावत करनी चाहिए और घर मे खैर के लिए यासीन, वग़ैरह अच्छा है, मगर ये नूर नामा, 16 सय्यदो की कहानी वग़ैरह से बचना ज़रूरी है

📗फतावा रज़वीय्या, जिल्द:26, सफा:610 पर है (हिन्दी ज़बान मे लिखा रिसाला नूर नामा के नाम से मशहूर है, इसकी रिवायत बेअस्ल है इसका पढ़ना जाइज़ नही)


📘फतावा फक़ी ए मिल्लत जिल्द:2, सफा:416 पर. है नूर नामा किताब की रिवायत बेअस्ल है इसका पढ़ना दुरुस्त नही


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.62

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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