खाली हाथ रहने वाली औरतो की नमाज़ का हुक्म

 


✿➺ सवाल


अगर हाथ मे चूड़ी या कुछ ना पहने हो तो पानी मकरूह हो जाता या नही और बिना हाथ मे कुछ पहने वजु और नमाज़ हो जाती है?


❀➺ जवाब


औरत को बिना ज़ेवर रहना मकरूह है, मगर उसके हाथ का पानी जाइज़ और वजु नमाज़ भी हो जाएगी, मगर बिना ज़ेवर नही रहना चाहिए कुछ ना कुछ ज़रूर पहने, और ना पहनना मर्दो से मुशाबेहत है।


☆अल- हदीस (ए अली अपने घर की औरतो को हुक्म दो की बे-ज़ेवर नमाज़ ना पढ़े) 


आला हज़रत इमाम ए इश्क़ व मोहब्बत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी अ़लैहिर्रहमह फतावा रज़वीय्या, जिल्द:22, सफा:127 फरमाते हैं (औरत को) बिल्कुल बे-जे़वर रहना मकरूह है, की मर्द से मुशाबेहत है "और हज़रत आएशा रज़ियल्लाहु अ़न्हा औरतो को बे-जे़वर नमाज़ को मकरूह जानती और फरमाती- (ज़ेवर मे) कुछ ना पाओ तो एक डोरा (धागा) ही गले मे बाँध लो" और इसी तरह मेहन्दी लगाना औरतों को लिए सुन्नत है यहा तक की हाथ बे-मेहन्दी ना रखे. की औरत के बे-मेहन्दी रहना भी मर्द से मशाबेहत है, और हदीस मे हुज़ूरﷺ ने एक सहाबिया को बैत करने से पहले फरमाया "हम तुमको बयेत ना करेंगे जब तक के तुम अपने हाथो में तब्दीली ना लाओ" (यानी उस ख़ातून के हाथ बे-मेहन्दी के थे, मतलब तुम्हारे हाथ मर्द की तरह सफेद है, इनमे मेहन्दी से रंग करो फिर बयेत करो, इससे मालूम हुआ की औरतो को मर्द की तरह चिट्टे हाथ रखना मकरूह है,) मीरात शरह मिश्कात लिहाज़ा ख़वातीन को चाहिए की कुछ ज़ेवर चूड़ी, कड़े, बुन्दे वग़ैरह ज़रूर पहने रहै (मगर ज़ेवर की आवाज़ गैर मर्द को ना जाए, और अगर पायल मे चुंगरू हो तो उस झांझर को तोड़ दे ताकि आवाज़ ना) और कम से कम नाखून पर ज़रूर मेहन्दी लगाए, वरना पूरे हाथ पर, ताकि हदीस पर अमल हो जाए

🤲🏻अल्लाह अमल की तौफ़ीक़ दे


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.62

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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