बारीक दुपट्टा ओढ़ कर नमाज़ पढ़ना कैसा

 


✿➺ सवाल



क्या फरमाते है उल्माए किराम इस मसअले मे की अक्सर औरतें बारीक दुपट्टा ओढ़ कर नमाज़ पढ़ती है तो क्या उनकी नमाज़ होती है या नही रहनूमाई फरमाएँ?


❀➺ जवाब


इसमे दो सूरत हो सकती है, अव्वल ये की दुपट्टा तो इतना बारीख है की बालो की सियाही नज़र आ जाए मगर उसके उपर या नीचे दूसरा ऐसा कपड़ा भी पहना है जिससे बाल की रंगत नज़र नही आ रही तो इस सूरत मे नमाज़ बिला कराहत जाइज़ होगी, सूरत दोम, अगर दुपट्टा बारीक है, और कोई दूसरा कपड़ा भी नही की सर पर ढक सकते इसी सूरत नमाज़ पढ़ी की सर की सियाही नज़र आ रही है तो ये नमाज़ ना होगी, बलके इसे उठक बेथक कहा जाएगा, नमाज़ उनकी शराइत को पूरा करते हुए पढ़ना है नाकी अपनी मर्जी से जैसे दिल चाहै पढ़ लें, कोई भी औरत अल्लाह पर एहसान नही कर रही नमाज़ पढ़ कर


📗बहारे शरीअत, जिल्द:1, सफा:481 पर है इतना बारीक दुपट्टा जिससे बाल की सियाही चमके, औरत ने ओढ़ कर नमाज़ पढ़ी (नमाज़) ना होगी, जब तक उस पर कोई ऐसी चीज़ ना ओढे, जिससे बाल वगेरा का रंग छिप जाए


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.85

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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