✿➺ सुवाल
बाज़ लोग तिलावते कुरआन करते हैं खास कर रमज़ान में बिना ही आवाज़ के और इसी तरह कुरआनख्वानी मे, बच्चे यानी चुपचाप उंगली चलाते रहते है और यही हाल घरों मे औरतों का होता है, तो इस तरह कुरआन बे-आवाज़ पढ़ा हुआ सही है या नही, इसे इसाले-सवाब कर सकते हैं या नहीं?```
❀➺ जवाब
बग़ैर आवाज़ दिल मे कुरआन को पढ़ने या सिर्फ देखने से पढ़ने का सवाब नही मिलेगा, सिर्फ़ देखने का मिलेगा, और उसे छूने का (अगर उंगली रख के पढ़ा)
📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.48
✒️मौलाना अब्दुल लतीफ नईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार
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बाब तिलावत