औरतों को कब नमाज़ पढ़नी चाहिए

 


✿➺ सुवाल


औरतों को कब नमाज़ अदा करनी चाहिए जैसे फजर की अज़ान हुई और अज़ान के बाद ही नमाज़ शुरू कर दी, मतलब औरतों को क्या मर्दो के टाइम पर ही पढ़ना चाहिए?``` 


❀➺ जवाब


जब जिस नमाज़ का वक़्त हो जाए नमाज़ पढ़ लेने से नमाज़ अदा हो जाएगी क्यूंकी औरतों पर जमाअत से नमाज़ पढ़ना वाजिब नही इसलिए वो अज़ान होते ही, या अज़ान ना भी हो वक़्त होते ही नमाज़ पढ़े तो भी कोई हर्ज नही और नमाज़ सही अदा होगी

अब रहा बेहतर क्या है, तो बेहतर ये है की औरत (अपने इलाके की मस्जिद की) मर्दो की जमाअत ख़तम होने के बाद नमाज़ पढ़े, मगर मगरिब फ़ौरन पढ़े इसमे देर ना करे, और फजर अंधेरे मे ना पढ़े कछ उजाला होने दे


🧭 जैसा की फजर के बारे मे हदीसे- पाक मे फरमाया गया और इसे तिरमिज़ी ने नक्ल किया

फज्र की नमाज़ उजाले मे पढ़ो की इसमे बहुत अज़ीम सवाब है

 

🧭 और हदीस कंजुल उम्माल ने हज़रत अनस से रिवायत किया की

 इससे तुम्हारी मग़्फिरत हो जाएगी


🧭 और तबरानी ने अबु हुरैरा से नक़ल किया की

 मेरी उम्मत हक़ पर रहेगी, जब तक फजर उजाले मे पढ़े


🧭 इन हदीसो से यही साबित होता है की फज्र अंधेरे मे नही पढ़ना चाहिए, (मगर पढ़ी तो गुनाह नही, नमाज़ हो जाएगी) इसलिए फजर की अज़ान के बाद जमाअत मे काफ़ी वक़्त होता है, उसकी अस्ल यही हदीसे हैं, और क्यूंकी रमज़ान मे सेहरी के बाद सो जाने का ख़ौफ़ है इसलिए जल्दी पढ़ी जाती है, औरतों को क्यूंकी जमाअत वाजिब नही इसलिए इन्हे ज़ोहर मे देर करके पढ़ना चाहिए


🧭 हदीस बुखारी और मुस्लिम मे फरमाया ज़ोहर को ठंडा करके पढ़ो की सख़्त गर्मी जहन्नम के जोश से है


🧭 इस हदीस की रोशनी मे पता चला की ज़ोहर मे देर करके पढ़ना मुस्तहब है, और मगरिब मे देर नही करनी चाहिए फ़ौरन पढ़नी चाहिए


🧭 हदीस मे फरमाया इसे अबु दावूद ने नक़ल किया

मेरी उम्मत हमेशा हक़ पर रहेगी, जब तक मगरिब मे इतनी देर ना करे की सितारे गुथ जाए

इसलिए आपने देखा होगा की मगरिब की नमाज़ फ़ौरन अज़ान के बाद ही हो जाती है, उसकी अस्ल ये हदीस है, फज़ले खुदा से नमाज़ का सही वक़्त और वजुहात को अहादीस की रोशनी मे बयान कर दिया, और खुलासा ए कलाम ये है की, औरत वक़्त होने पर नमाज़ पढ़े तो गुनाह नही नमाज़ हो जाएगी, मगर मुस्तहब है की मर्दो की जमाअत होने दे, और फज्र, मे अगर जमाअत होने देने से वक़्त जाता हो तो पहले भी शुरू कर सकती है, और मगरिब मे फ़ौरन अज़ान बाद ही शुरू करे



📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.30

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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